सूरजपुर जिले के बिश्रामपुर थाना क्षेत्र के ग्राम सतपता निवासी विनोद सोनवानी पिता पितांबर सोनवानी उम्र २८ वर्ष कुछ दिन पूर्व उसके पैर में चोट लगने से जख्म हो गया था। परिजन ने उसे इलाज के लिए शहर के बनारास मार्ग पर स्थित गायत्री अस्पताल में भर्ती कराया था। उसका इलाज गायत्री अस्पताल के संचालक डॉ. रितेश गुप्ता की निगरानी में चल रही थी। रविवार की रात तक विनोद की स्थिति नॉर्मल थी।
एकता अस्पताल में शाम तक पड़ा रहा शव
युवक की मौत के बाद परिजन में आक्रोश है। गायत्री अस्पताल के बाहर परिजन काफी संख्या में सुबह से खड़े रहे। मृतक के भाई का कहना था कि मैंने अपने भाई को इलाज के लिए गायत्री अस्पताल में भर्ती कराया था। उसे एकता अस्पताल में क्यों ले जाया गया। परिजन ने शव लेने से इंकार कर दिया।
दूसरे अस्पताल में ले जाने की क्या जरूरत
मृतक के पिता पितांबर सोनवानी व भाई मनोज सोनवानी ने आरोप लगाया है कि पैर के जख्म होने पर उसे भर्ती कराया गया था। उसकी तबियत भी ठीक थी। अचानक उसकी मौत कैसे हो गई। परिजन ने चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजन का कहना है कि उसे गायत्री अस्पताल से एकता अस्पताल क्यों ले जाया गया।
परिजन पर मारपीट का आरोप
गायत्री अस्पताल के संचालक डॉ. रितेश गुप्ता ने बताया कि परीजन काफी आक्रोशित थे। उन्होंने अस्पताल में घुसकर कर्मचारियों के साथ मारपीट भी किया है। परिजन द्वारा महिला स्टाफ के साथ भी दुव्र्यवाहर किया गया है। इस मामले की शिकायत गांधीनगर थाने में की गई है। पुलिस का कहना है कि मारपीट की शिकायत मिली है। अब तक अपराध दर्ज नहीं कराया गया है।
यह भी पढ़ें: मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 4 घंटे में 4 नवजातों की मौत, परिजनों ने किया हंगामा
परिजन के डर से एकता अस्पताल में रूके रहे डॉक्टर
इधर परिजन के डर से गायत्री अस्पताल के संचालक डॉ. रितेश गुप्ता एकता अस्पताल में ही दोपहर तक रूके रहे। डॉक्टर रितेश गुप्ता का कहना है कि मरीज को 19 जनवरी को भर्ती कराया गया था। उसके पैर में जख्म था और मवाद भरा हुआ था। रविवार की रात तक मरीज पूरी तरह स्वस्थ था।
मानक के अनुसार नहीं चल रहे निजी अस्पताल
अंबिकापुर शहर में हर गली-मोहल्ले में निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। छोटे से भवन में भी लोग अस्पताल चला रहे हैं। उनके पास गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्था है या नहीं, इसकी जांच स्वास्थ्य विभाग द्वारा नहीं की जाती है।