6 जुलाई को सुषमा स्वराज और निर्मला सीतरमण जाएंगी अमरीका
आपको बता दें कि आगामी 6 जुलाई को अमरीका में होने वाले इंडो-यूएस 2+2 डायलॉग में भाग लेने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण वाशिंगटन जाएंगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान यह संभावना जताई जा रही है कि भारत और अमरीका के बीच टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) सिस्टम के बारे में बातचीत हो सकती है। बता दें कि अमरीका की ओर से विकसित किया गया यह एक ऐसा उन्नत मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जो लंबी दूरी के मिसाइल हमले को रोकने में खास तौर से प्रभावी है।
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क्या खासियत है रूसी तकनीक एस-400 की
आपको बता दें कि भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर सौदा हो चुका है। भारत एस-400 की खासियतों को देखते हुए रूस के साथ यह समझौता किया है। रूस का एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम बड़े हवाई हमलों, खासकर एफ-18 और एफ-35 जैसे लड़ाकू विमानों से होने वाले हमलों को रोकने में कारगर है। इसके अलावे एस-400 के नए संस्करण से भी लंबी दूरी के हमलों को रोका जा सकता है। लेकिन अब चिंता का विषय यह है कि क्या रूसी तकनीक एस-400 इंटरमीडिएट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अमरीकी THAAD से ज्यादा प्रभावी है।
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अमरीका की नई रणनीति
आपको बता दें कि अमरीका भारत और रूस के बीच हुए एस-400 सौदे को रोकने के लिए नई रणनीति अपना रहा है। बता दें कि भारत और रूस के बीच यह सौदा करीब 39 हजार करोड़ रुपए का हुआ है और अब इसे रोकने के लिए ट्रंप सरकार पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। दरअसल यह सौदा अमरीका की राजनीतिक के लिए काफी संवेदनशील है। क्योंकि अमरीकी संसद में एक विधेयक पर यह चर्चा हो रही है जिसका मूल उद्देश्य है अमरीकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना। साथ हीं इन कंपनियों से खरीददारी करने वाली दूसरे देशों की कंपनियों को भी प्रतिबंध में शामिल करने का प्रस्ताव है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमरीकी सरकार ने भारत जैसे देशों के साथ इस तरह के सौदों को पक्का करने के लिए कुछ रियायतें भी देने की पेशकश की है। इसके लिए सिर्फ एक शर्त रखी है कि ये देश अपनी रक्षा सौदों के लिए रूस पर निर्भरता कम करें।
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भारत का पक्ष
आपको बता दें कि इस मामले को लेकर भारत ने भी अपना पक्ष रखा है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भारत सरकार ने कहा है कि अमरीका में CAATSA पर चर्चा होने से पहले ही रूस के साथ एस-400 सौदे को लेकर हम काम करना शुरु कर चुके थे। अब किसी भी समय में CAATSA जब भी लागू होगा लेकिन एस-400 सौदे को उससे पहले ही माना जाएगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि एस-400 सौदेबाजी की जानकारी रखने वाले एक करीबी सूत्रों के मुताबिक अमरीकी अथॉरिटीज के लिए यह उम्मूीद करना सही नहीं है कि भारत रूस के साथ इस सौदे को रद्द कर देगा।