शोध ‘पीएलओएस वन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसके मुताबिक दिमाग के ‘फ्यूसीफॉर्म’ क्षेत्र में कई गतिविधियां ऐसी होती हैं, जिन्हें पढऩा गूढ़ श्रेणी में आता है। शोधकर्ताओं ने विशेष उपकरण फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एफएमआरआइ) के जरिए श्रवण और दृश्य प्रणालियों की कूट लेखन क्षमता का विश्लेषण किया। शोध में बताया गया कि ‘फ्यूसीफॉर्म’ की सहायता से नेत्रहीन लोग ध्वनि के आधार पर काल्पनिक चित्र बना सकते हैं।
तीन चरण में एमआरआइ स्कैन से गुजारा शोध में छह पूर्ण नेत्रहीन और 10 आंशिक रूप से नेत्रहीन लोगों को शामिल किया गया। उन्हें ध्वनियों के जरिए चेहरे पहचानने का अभ्यास कराया गया। इन्हें तीन चरण में एमआरआइ स्कैन से गुजारा गया। आवाज के जरिए उन्हें सामान्य ज्यामितीय आकार और रेखाओं को पहचानने के लिए कहा गया। धीरे-धीरे पैटर्न को जटिल किया गया। इस दौरान सभी के दिमाग का फ्यूसीफॉर्म क्षेत्र सर्वाधिक सक्रिय पाया गया।
कल्पना वास्तविक चेहरे से अलग शोधकर्ताओं में शामिल जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में तंत्रिका विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जोसफ रॉसचेकर का कहना है कि फ्यूसीफॉर्म की सहायता से नेत्रहीन आवाज सुनकर जो चेहरा गढ़ते हैं, वह वास्तविक चेहरे से अलग होता है। कुछ उपकरणों के जरिए नेत्रहीनों को कार्टून किरदारों के चेहरे पहचानने में मदद मिली। यह खोज नेत्रहीनों के लिए देखने की क्षमता वाले उपकरण बनाने में मदद कर सकती है।