Raksha Bandhan 2024: बाड़मेर जिले में एक लाख के करीब पाक विस्थापित परिवार हैं। इन्हीं परिवारों के अमोलक माली बताते है कि उनकी बहन पाकिस्तान में है।
Raksha Bandhan 2024: भारत-पाक के बीच बंटे एक लाख पाक विस्थापित परिवारों के घर राखी की खुशियां अलग ही हैं। सालों तक दूर रहने के बिछोह सहने वाली बहनों के लिए अब मोबाइल और इंटरनेट के इस युग में पर्व आंसूूओं की जगह खुशियां ला रहे हैं। ई राखी मनाते इन परिवारों में अब पाकिस्तान और भारत में बैठे भाई अपनी कलई पर सजी राखी दिखाएंगे तो इधर सरहदद के दोनों ओर भारत-पाक में बैठी बहनें भाई पर वारी जाएंगी। इंटरनेट क्रांति से पहले ये बहनें रक्षाबंधन पर आंसू छलकाती थी और अब इनके चेहरे पर खुुशियां छलक रही हैं।
बाड़मेर जिले में एक लाख के करीब पाक विस्थापित परिवार हैं। इन्हीं परिवारों के अमोलक माली बताते है कि उनकी बहन पाकिस्तान में है। बहन कभी भारत नहीं आई। पहले पाकिस्तान से राखी भेज भी देते तो यहां नहीं पहुंचती थी। फिर रक्षा बंधन के दिन फोन कॉल करके बात जरूर करते थे। अब इंटरनेट आने के बाद में रक्षाबंधन के दिन बाजार से मैं राखी खरीदकर लाऊंगा और कलई पर बांधकर मोबाइल से वीडियोकॉल से बता दूंगा। वो कहते है ऐसे लगता है जैसे आमने सामने बैठे है। सारा परिवार अब इस खुुशियों को जीता है। इसी तरह शहर के ही रायकॉलोनी में रहने वाले तेजदान कहते है कि रक्षा बंधन सहित तमाम पर्व पर अब यह खुशी तो हमारे पास में है। इंटरनेट आने के बाद में वीडियोकॉलिंग के जरिए एक दूसरे का हाल जान लेते हैं।
2019 के बाद में जोधपुर से कराची के बीच में चलने वाली थार एक्सप्रेस बंद कर दी गई है। यह रेल शुरू थी तो बाड़मेर से लाखों लोगों ने 2006 से 2019 तक सफर किया। पाक विस्थापित परिवारों की मांग है कि यह रेल प्रारंभ की जाए तो भाई अपनी बहनों से मिल पाए और बहनें भी राखी और अन्य पर्व पर भारत आ सके।
2019 में ही पंजाब के बाघा बॉर्डर को भी बंद किया गया था, लेकिन अब वहां ऑन फुट वीजा मिल रहा है। इससे आना-जाना संभव है। पश्चिमी सीमा के बाड़मेर बॉर्डर पर रहने वाले अधिकांश लोग आर्थिक स्थिति से कमजोर है। इनके लिए मुनाबाव-खोखरापार रास्ता खोला जाए तो यहां से आसानी से आना-जाना होगा। ऑन फुट वीजा की मांग ये लोग भी कर रहे हैं।