Delhi team expressed concern
बैतूल। प्रधानमंत्री आवास योजना के काम की वास्तविक स्थिति देखने के लिए दिल्ली से आए 20 से 25 सदस्यों के दल ने शुक्रवार को बैतूल शहर का विस्तृत दौरा किया। टीम ने सबसे पहले नगर पालिका कार्यालय पहुंचकर सीएमओ और इंजीनियरों से मुलाकात की। यहां अधिकारियों ने योजना से जुड़े दस्तावेज, स्वीकृतियां, निर्माण प्रगति और भुगतान विवरण प्रस्तुत किया। इसके बाद टीम ने शहर के विभिन्न वार्डों में जाकर पीएम आवास की वास्तविक स्थिति का आंकलन किया।
निरीक्षण के दौरान सबसे ज्यादा ध्यान उन मकानों पर गया जो लंबे समय से अधूरे हैं। टीम जब सुभाष वार्ड और आस-पास के अन्य इलाकों में पहुंची, तो वहां कई लाभार्थियों के अधूरे मकान दिखाई दिए। मौके पर टीम ने लाभार्थियों से सीधे सवाल पूछे कि मकान अभी तक पूरे क्यों नहीं हो पाए। इस पर लोगों ने अलग-अलग समस्याएं बताईं। कुछ लाभार्थियों ने कहा कि उन्हें समय पर किस्त नहीं मिली, जिससे निर्माण रुक गया। कुछ ने निर्माण सामग्री महंगी होने की बात कही, जबकि कुछ ने नगर पालिका द्वारा सहयोग न मिल पाने की शिकायत की। नगर पालिका के अनुसार, पीएम आवास योजना 1.0 के तहत बैतूल शहर में कुल 8875 आवास स्वीकृत हुए हैं। इनमें से 8470 मकानों को पूर्ण बताया जा रहा है, जबकि 405 मकान अब भी अधूरे हैं। निरीक्षण के दौरान टीम को ये अधूरे मकान स्पष्ट रूप से मिले, जिससे रिकॉर्ड और जमीनी स्थिति में अंतर दिखाई दिया।
इसके अलावा पीएम आवास योजना 2.0 में 835 नए मकान स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन अभी तक इनकी पहली किस्त जारी नहीं हुई है, जिससे काम शुरू ही नहीं हो सका है। इससे लाभार्थियों में भी काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। नगर पालिका ने प्रथम चरण में मकान अधूरे छोडऩे वाले 47 लाभार्थियों के बैंक खातों को होल्ड कर दिया है और अब उनसे राशि की रिकवरी की कार्रवाई की जा रही है। टीम ने इस मुद्दे पर भी विस्तृत जानकारी ली कि आखिर ये मकान अधूरे क्यों रह गए और किस स्तर पर लापरवाही हुई। निरीक्षण के बाद यह साफ सामने आया कि कागजों में दिख रही प्रगति और जमीन पर दिखाई दे रही वास्तविक स्थिति में बड़ा अंतर है।
बैतूल। नगरपालिका के बाल मंदिर सभा कक्ष में शुक्रवार को नगरीय निकायों की संभागीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संयुक्त संचालक राधेश्याम मंडलोई ने की। इसमें बैतूल, नर्मदापुरम और हरदा जिले के सभी नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) और इंजीनियर शामिल हुए। बैठक में विभिन्न सरकारी योजनाओं की प्रगति, नगरपालिका स्तर पर चल रहे कार्यों और सेवा व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की गई।
संयुक्त संचालक ने सबसे पहले अमृत योजना के प्रोजेक्ट, सीएम हेल्पलाइन, सफाई व्यवस्था, राजस्व वसूली और नगरीय सेवाओं की समीक्षा की। उन्होंने निकायों को निर्देश दिए कि बिजली बिलों में अनावश्यक खर्च रोकने के लिए विद्युत एनर्जी ऑडिट अनिवार्य रूप से कराया जाए। इसके साथ ही उन्होंने राजस्व वसूली को पूरी तरह ऑनलाइन मोड में लागू करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि वसूली की प्रगति भी वास्तविक समय में मॉनिटर की जा सकेगी।