Lok Adalat, Water Charges, Economic Situation, Municipality
बैतूल। नगरपालिका की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ते जा रही है। इसका कारण राजस्व वसूली में पिछडऩा है। यानी हर 100 रुपए की मांग पर केवल 25 रुपए ही वसूल हो पा रहे हैं। राजस्व वसूली की इस स्थिति के कारण अब वसूली का पूरा दारोमदार 13 दिसंबर को होने वाली नेशनल लोक अदालत पर टिक गया है। राजस्व वसूली की बदहाल स्थिति ने हालात ऐसे बना दिए हैं कि कर्मचारियों को नवंबर माह का वेतन भी नहीं मिल पाया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में नगरपालिका की कुल राजस्व डिमांड 11 करोड़ 63 लाख रुपए है, लेकिन नवंबर तक महज 2.91 करोड़ यानि 25 प्रतिशत ही वसूली हो पाई है। ऐसे में यह लोक अदालत नगरपालिका के लिए सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि वित्तीय संकट से बाहर निकलने का अंतिम अवसर बन गई है। नगरपालिका ने इस बार एक करोड़ रुपए वसूली का लक्ष्य रखा है, जिसे हासिल करने के लिए वह एड़ी चोटी का जोर लगा रही है।
अगस्त माह में नगरपालिका आर्थिक संकट में फंसी थी और उस समय सितंबर में लोक अदालत के जरिए 70 लाख 23 हजार रुपए की वसूली हुई थी। इसी राशि से कर्मचारियों का वेतन भुगतान कर दिया गया था। यही कारण है कि इस बार भी नगरपालिका की निगाहें लोक अदालत पर टिकी हैं। इस बार स्थिति और अधिक गंभीर है, क्योंकि वसूली घटकर 25 प्रतिशत रह गई है। जल शुल्क जैसी महत्वपूर्ण मद में वसूली केवल 17 प्रतिशत होना बताई जाती है। बकाया राशि कई सालों से बढ़ती जा रही है। नगरपालिका जानती है कि यदि इस लोक अदालत में वसूली नहीं बढ़ी तो आने वाले महीनों में शहर की कई सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
लोक अदालत अभियान के तहत नगरपालिका ने बड़ा कदम उठाते हुए 10 हजार से अधिक बकाया राशि वाले 1329 बकायादारों को डिमांड नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में साफ कहा गया है कि पूरा टैक्स जमा करने पर सरचार्ज में छूट दी जाएगी और यह छूट सिर्फ लोक अदालत वाले दिन ही लागू होगी। इसके लिए नगरपालिका के कचरा वाहनों में लगातार लोक अदालत की घोषणा करा रही है। एक विशेष वाहन वार्डों में घूम-घूमकर टैक्स जमा करने की अपील कर रहा है। कर्मचारियों को डोर-टू-डोर संपर्क के निर्देश दिए गए हैं। यह रणनीति इसलिए अपनाई गई है क्योंकि पिछली बार सर्वर की समस्या और असमंजस के कारण कई बकायादार टैक्स जमा किए बिना लौट गए थे।