प्रदेश में अवैध खनन, क्रशर से बढ़ता प्रदूषण, कार्रवाई का फोकस वैध इकाइयों तक सीमित
प्रदेश में अवैध खनन, अवैध क्रशर और बिना पंजीकरण चल रही खनिज प्रसंस्करण गतिविधियां पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही हैं। इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण मंडल की कार्रवाई का दायरा अधिकतर वैध खनन पट्टों, पंजीकृत क्रशर और स्वीकृत औद्योगिक इकाइयों तक ही सीमित नजर आता है। वहीं खुलेआम संचालित हो रहे अवैध खनन और अवैध क्रशर कई बार कार्रवाई से बचे रहते हैं। इस असमानता ने आमजन के मन में यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रदूषण से जुड़े कानून अवैध गतिविधियों पर लागू नहीं होते। जिले के रायपुर, बिजौलियां व मांडलगढ़, मंगरोप, हमीरगढ़, आसींद, पुर, कारोई, बनेड़ा क्षेत्र में अवैध खनन हो रहा है।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार अवैध खनन और अवैध क्रशरप्रायः बिना किसी पर्यावरणीय स्वीकृति, तकनीकी मानकों और प्रदूषण नियंत्रण उपायों के संचालित होते हैं। इसके चलते हवा में अत्यधिक धूल फैलती है, जल स्रोतों में मिट्टी व अपशिष्ट पहुंचता है, कृषि भूमि को नुकसान होता है और आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
कानूनी जानकारों का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सभी कानून चाहे वह वायु प्रदूषण नियंत्रण हो, जल प्रदूषण की रोकथाम या पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986। वैध और अवैध, दोनों प्रकार की गतिविधियों पर समान रूप से लागू होते हैं।
व्यवहारिक स्तर पर कई बार यह तर्क दिया जाता है कि अवैध खनन खनन विभाग या पुलिस का विषय है, प्रदूषण नियंत्रण मंडल का नहीं। कुछ मामलों में अवैध इकाइयों के पास पंजीकरण या स्थायी रिकॉर्ड न होने का हवाला दिया जाता है। विभागों के बीच समन्वय की कमी और स्थानीय स्तर पर प्रभाव या दबाव भी कार्रवाई को प्रभावित करते हैं।
पर्यावरण की प्रभावी रक्षा तभी संभव है जब वैध और अवैध-दोनों प्रकार की प्रदूषणकारी गतिविधियों पर समान और सख्त कार्रवाई हो। इसके लिए खनन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पुलिस के बीच संयुक्त अभियान चलाने की आवश्यकता है।
बिजौलियां निवासी रामप्रसाद विजयवर्गीय का कहना है कि अवैध खनन के कारण पूरे प्रदेश में पर्यावरणीय हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। यदि समय रहते निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है।
यह स्पष्ट है कि अवैध खनन और अवैध क्रशर से भी पर्यावरण को नुकसान होता है और प्रदूषण से जुड़े सभी कानून इन पर पूरी तरह लागू होते हैं। केवल वैध इकाइयों पर कार्रवाई करना न तो न्यायसंगत है और न ही पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य को पूरा करता है।