भीलवाड़ा

जिंदल ने ओवरबर्डन के खड़े कर दिए पहाड़, 30 मीटर से अधिक ऊचाई तक डाला मलबा

बिना अनुमति के चल रहे क्रशर, कारण बताओ नोटिस जारी, 15 दिन में मांगा जबाव राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने 17 मई को किया था निरीक्षण

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Jul 23, 2025
Jindal raised mountains of overburden, dumped debris to a height of more than 30 meters

जिंदल सॉ लिमिटेड की ओर से नियमों की पालना नहीं करने की शिकायतों के बीच कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिंदल ने आरजी संख्या 9697/671 तिरंगा हिल्स के पास, पुर एवं ढेड़वास में खनन के दौरान निकलने वाले मलबे यानी ओवरबर्डन के पहाड़खड़े कर दिए हैं। यह पहाड़ 30 मीटर से भी ऊंचे हैं। जो नियमों के विपरित हैं। इसके अलावा ओवरबर्डन डालने के लिए चार स्थानों की ही स्वीकृति मिली थी, लेकिन जिंदल ने एक दर्जन से अधिक स्थानों पर ओवरबर्डन के पहाड़खड़े कर रखे हैं। क्रशर की कुछ लाइन अवैध रूप से बिना अनुमति के संचालित की जा रही हैं। इसे लेकर राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने 16 जुलाई को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए 15 दिन में जवाब मांगा था। जवाब नहीं मिलने पर प्लांट व क्रशर की अनुमति को निरस्त कर दिया जाएगा। बोर्ड ने यह नोटिस 17 मई को किए गए निरक्षण के दौरान मिली खामियों के आधार पर जारी किया।

नोटिस में बताया गया कि भीलवाड़ा के अधिकारियों ने 17 जुलाई को निरीक्षण किया था। इस दौरान कई खामिल मिलीं। इकाई में क्रशर की 3 लाइनें (लाइन-3, 4 व 5) हैं, जिनमें से एक क्रशर लाइन है। लाइन 3 का संचालन के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है। इसके अलावा एक लाइन अवैध रूप से चल रही है। इसमें 4 क्रशर शामिल हैं। क्रशर को पूरी तरह से कवर तक नहीं कर रखा है। जल छिड़काव की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके कारण एसपीएम 2155 पाया गया, जो निर्धारित सीमा से कई अधिक था।

जिंदल ने टेलिंग डैम पर एचडीपीईलाइनिंग उपलब्ध नहीं कराई है। ओवररबर्डन को निर्धारित स्थानों पर नहीं रखा गया था। डंप की ऊंचाई 30 मीटर से अधिक 50-50 मीटर तक थी और अपशिष्ट डंप का समग्र ढलान 27 डिग्री पर नहीं बना रखा था। ओवरबर्डन डंप करने की स्वीकृति केवल चार है, लेकिन कई स्थानों पर ओवरबर्डन पाया गया जिसकी ऊचाई 50 मीटर से अधिक थी। ओवरबर्डन की सिल्ट तालाब में जा रही थी। वही इसकी मिट्टी खेतों में भी जाना पाया गया। ओवरबर्डन के किनारे गारलैंड नालियां, चेक डैम और निपटान टैंक तथा रिटेनिंग वॉल नहीं पाए गए।

बोर्ड ने माना कि जिंदल जल अधिनियम, 1974 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और संचालन के लिए सहमति की शर्तों की पालना नहीं कर रहा है। ऐसे में आरपीसीबी ने संचालन सहमति को रद्द करने का मानस बनाया है। बोर्ड ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा कि उक्त कारणों के चलते क्यों न संचालन की अनुमति को रद्द कर दिया जाए। इस नोटिस के माध्यम से जिंदल को मय दस्तावेजों के साथ 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। जवाब नहीं मिलने पर संचालन सहमति बिना किसी सूचना के रद्द कर दी जाएगी।

Published on:
23 Jul 2025 09:14 am
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