- 75 प्रतिशत खराबे के कारण किसान नहीं बेच पा रहे फसल - 1588 किसानों ने करवाया ऑनलाइन पंजीयन, क्रय केंद्रों पर अब तक एक भी क्विंटल दलहन की खरीद नहीं
राजस्थान में किसानों को दलहन और तिलहन फसलों का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए ऑनलाइन पंजीयन प्रक्रिया जारी है। भीलवाड़ा जिले में मूंग, उड़द और मूंगफली की खरीद के लिए कुल 27 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं और 1588 किसानों ने अपनी फसल बेचने के लिए उत्साहपूर्वक ऑनलाइन पंजीयन भी करवाया है। स्थिति यह है कि खरीद शुरू होने के बावजूद जिले के सभी केंद्र सूने पड़े हैं। अब तक किसी भी किसान ने क्रय केंद्र पर अपनी फसल का सौदा नहीं किया है।
खरीद केंद्र सूने रहने का मुख्य कारण
क्रय केंद्रों पर किसानों के नहीं पहुंचने के पीछे सबसे बड़ा कारण फसल पकने के दौरान हुई असमय बारिश है। जिले में मूंग और उड़द की फसल में 75 प्रतिशत से अधिक का खराबा हुआ है। फसल खराब होने या उपज की गुणवत्ता प्रभावित होने के कारण किसान निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार अपनी फसल खरीद केंद्रों पर नहीं बेच पा रहे हैं। इससे सरकारी खरीद ठप पड़ी है।
1588 ने करवाया पंजीयन
जिले में कुल 1588 किसानों ने अपनी फसल बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीयन करवाया है। जिले में समर्थन मूल्य मूंग 8768 रुपए, मूंगफली 7263 रुपए, उडद 7800 रुपए तथा सोयाबीन 5328 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खरीद की जानी है। इसके लिए जिले के 1588 किसानों ने पंजीयन करवाया है। इसमें से मूंग के लिए 25, उड़द के लिए 451, सोयाबीन के 57 तथा मूंगफली के 1045 किसान शामिल है।
जिले में 27 स्थानों पर क्रय केंद्र स्थापित
किसानों की सुविधा के लिए जिले में कुल 27 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। इनमें भीलवाड़ा, बिजौलियां, गुलाबपुरा, रायपुर, आसींद, गंगापुर, मांडल, शाहपुरा, जहाजपुर, बनेड़ा और कोटड़ी स्थित क्रय विक्रय सहकारी समितियों को मुख्य केंद्र बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, बिजौलियां के उपकेंद्र मांडलगढ़ व काछोला सहित गुरला, महुआ, बिगोद, बोरखेड़ा, मोखमपुरा, पालड़ी, अंटाली, बदनोर, पड़ासोली, कोशिथला, पोटला, बागौर, जोरावरपुरा, करेड़ा, चिल्लेश्वर, ढिकोला, फुलियाकलां, सांगरिया, बच्चखेड़ा, पंडेर, खजूरी, शक्करगढ़, सरदारशहर और बडलियास की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में भी खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं। सरकारी तंत्र ने खरीद के लिए पूरी तैयारी की है, लेकिन प्रकृति की मार ने किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ लेने से वंचित कर दिया है।