भिवाड़ी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 फरवरी को पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना घोषित की। पीएम घोषणा के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया लेकिन अब निगम प्रबंधन ने सभी सहायक अभियंता कार्यालय में योजना का प्रचार करने के निर्देश दिए, इसके बाद हेल्प डेस्क लगाई गई है। प्रबंधन की सख्ती के बाद स्थानीय स्तर पर प्रचार-प्रसार तेज किया गया। भिवाड़ी सर्किल में एक सप्ताह में 585 आवेदन आए हैं जिसमें से 280 के डिमांड नोट जारी हो गए। 67 डिमांड नोट जमा हो गए। 35 परिसर के ऊपर रूपटॉप सोलर लगने के बाद 30 कनेक्शन जारी हो गए। एक किलोवाट का सिस्टम एक दिन में चार यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा, तीन किलोवाट का 12 यूनिट ऊर्जा देगा।
तीन किलोवाट के सोलर पैनल की लागत करीब 1.40 लाख रुपए है। सरकार 78 हजार की सब्सिडी देगी। 62 हजार रुपए उपभोक्ता का हिस्सा होगा। तीन किलोवाट सौर पैनल से रोजाना 12 यूनिट बिजली उत्पादन होगा। अगर उपभोक्ता निगम से एक यूनिट बिजली लेता है तो उसका आठ रुपए देना पड़ता है। इस तरह 22 महीने में उसके 62 हजार रुपए प्राप्त हो जाएंगे।
अतिरिक्त बिजली खरीदेगी सरकार
सौर पैनल लगाने के बाद उपभोक्ता की जितनी खपत होगी, उसके बाद जो बिजली अतिरिक्त बचेगी, वह नेट मीटरिंग के तहत निगम लेगा। अगर उपभोक्ता की औसत खपत सौ यूनिट है और उसके पैनल से तीन सौ यूनिट बिजली उत्पादित हो रही है तो शेष दो सौ यूनिट बिजली को निगम लेगा।
औद्योगिक क्षेत्र में प्रति महीने औसतन 24 करोड़ यूनिट बिजली की खपत होती है। अभी तक करीब दो प्रतिशत बिजली सौर ऊर्जा से प्राप्त हो रही। 177 इकाइयों ने सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए हैं। औद्योगिक इकाइयों में अभी तक 45175 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगे हैं। सोलर प्लांट से एक महीने में औसत 42.63 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है। जिन इकाइयों के पास अतिरिक्त बिजली का उत्पादन होता है वे नेट मीटरिंग से बिजली बोर्ड को तीन लाख यूनिट बिजली प्रति महीने देती हैं। अतिरिक्त बिजली के उत्पादन से फैक्ट्रियां 22.56 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त करती हैं। जबकि 39.27 लाख यूनिट बिजली का स्वयं उपयोग कर 2.95 करोड़ रुपए की बचत करती हैं।
वाहन निर्माता कंपनी में बड़ा प्लांट
औद्योगिक क्षेत्र की कई इकाइयों ने अधिक क्षमता के प्लांट लगवाए हैं। एक वाहन निर्माता कंपनी में 5900 केवीए का सोलर प्लांट लगा है। इसके साथ ही अन्य दर्जनों इकाइयों में भी बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र लगे हैं। इसके साथ ही छोटी इकाइयों में भी कम क्षमता के सिस्टम लगाए गए हैं। सौर ऊर्जा की मदद से एक तरफ हरित ऊर्जा का सही उपयोग हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ निगम की आपूर्ति बाधित होने पर भी इकाई परिसर में निर्बाध काम चलता रहता है।
योजना को लेकर सहायक अभियंता कार्यालय में हेल्प डेस्क लगाकर आवेदन कराए जा रहे हैं, जिसका सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
मनोज गंगावत, अधीक्षण अभियंता, वितरण निगम