भिवाड़ी. बिजली के फीडर पर फॉल्ट आया और दर्जनों औद्योगिक इकाइयों की बिजली बाधित हो गई। फॉल्ट निकलेगा तब जाकर बिजली आपूर्ति सुचारू होगी लेकिन फॉल्ट हमेशा फीडर पर ही नहीं आता। कई बार यह उस फीडर से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों के अंदर भी आता है। फैक्ट्रियों में वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (वीसीबी) नहीं होने की वजह से फॉल्ट फीडर की आपूर्ति को ही बाधित कर देता है। बीते दिनों बीएमए की बैठक में भी यह मुद्दा उठा, उद्यमियों ने भी इस तकनीकि पहलू को स्वीकार किया। इस तरह के फॉल्ट को रोकने में फैक्ट्रियों के अंदर की वीसीबी ही कारगर है। वीसीबी लगे होने पर फॉल्ट आने पर उक्त फीडर से जुड़ी दर्जनों इकाइयों की आपूर्ति निर्बाध रह सकती है।
एचटी उच्च ताप वाली फैक्ट्रियों में वीसीबी लगाना अनिवार्य होता है। इसके लिए इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर भी दिशा निर्देश जारी करता है। वीसीबी की कीमत करीब चार से पांच लाख रुपए होती है। इसके लगने पर फैक्ट्रियों के अंदर फॉल्ट आने पर ब्रेकर ट्रिप हो जाता है, फैक्ट्री के अंदर का फॉल्ट बाहर फीडर पर असर नहीं डालता। उक्त फीडर की दूसरी फैक्ट्रियों पर कोई असर नहीं होता।
बे्रकर नहीं होने की वजह से फैक्ट्री के अंदर का फॉल्ट फीडर पर माना जाता है। फॉल्ट आने के बाद फीडर बंद हो जाता है, फीडर से जुड़ी हुई सभी इकाई बंद हो जाती हैं। एक फैक्ट्री में आए फॉल्ट का खामियाजा सैकड़ों अन्य उपभोक्ताओं को बेवजह उठाना पड़ता है।
बीएमए की बैठक में उठा मुद्दा
विद्युत निगम और उद्यमियों की बीएमए में हुई बैठक में फैक्ट्रियों के अंदर ब्रेकर लगाने का मुद्दा उठाया गया है। उद्यमियों ने जब अधिक फॉल्ट और ट्रिपिंग की समस्या बताई, उसके बाद निगम अभियंताओं ने भी फैक्ट्रियों की वजह से आने वाले फॉल्ट की संख्या को बताया। फॉल्ट के कारण भी बताए। इसके लिए ब्रेकर लगाना जरूरी बताया। बैठक में बीएमए अध्यक्ष चौ. जसवीर सिंह ने भी उद्यमियों को फॉल्ट रोकने के लिए ब्रेकर लगाने के लिए प्रोत्साहित किया।
फैक्ट्री के फॉल्ट से बंद रहे फीडर
निगम से मिली जानकारी के अनुसार 220 केवी जीएसएस बिलाहेड़ी से निकलने वाला 33 केवी फीडर नंबर दो 29 जुलाई को, 11 केवी फीडर नंबर पांच 23 जुलाई को, 11 केवी फीडर नंबर चार 19 जुलाई को, 11 केवी फीडर नंबर एक 31 जुलाई को फैक्ट्रियों के अंदर आए फॉल्ट की वजह से घंटों तक बंद रहे। इसकी वजह से उस फीडर की सैकड़ों इकाइयों की आपूर्ति भी बाधित रही।
उद्यमियों को बिजली लोड के अनुसार फैक्ट्रियों के अंदर ब्रेकर लगाने चाहिए। इससे निगम और उनके साथी उद्यमियों को राहत मिलेगी। बिजली की नियमित आपूर्ति हो सकेगी।
मनोज गंगावत, अधीक्षण अभियंता