भिवाड़ी. मजूदर कॉलोनियों के सेप्टिक टैंक से निकले अपशिष्ट को ट्रैक्टर-टैंकर खुले में बहाते हैं। इस मामले को लेकर प्रशासन एक बार फिर सख्ती करते नजर आ रहा है। उक्त मसले पर पहले भी कई बार कार्रवाई हुई हैं लेकिन समस्या का निस्तारण नहीं हो सका। क्योंकि संबंधित विभाग इस मामले को लेकर ट्रैक्टर-टैंकर संचालकों को समझायश नहीं कर सके। करीब छह महीने पहले नगर परिषद ने आठ ट्रैक्टर-टैंकर संचालकों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में अपशिष्ट खाली करने का लाइसेंस दिया। इन लाइसेंस वाले संचालकों ने एसटीपी में अपशिष्ट के कितने टैंकर खाली किए इसका रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं है। छह महीने पहले बायपास पर जलभराव के समय जब खुले में अपशिष्ट छोडऩे का मामला उछला तब कागजी कार्रवाई की गई। उस कार्रवाई को सफल बनाने के प्रयास नहीं हुए।
उद्योग क्षेत्र में मजदूर कॉलोनियों के सेप्टिक (विषाक्त) टैंक से निकलने वाली गंदगी मुसीबत बनी हुई है। यह मुसीबत अभी तब तक बनी रहेगी जब तक कि नगर परिषद क्षेत्र के गांव में स्थित मजदूर कॉलोनियों से निकनले वाले अपशिष्ट का सीवर से जुड़ाव नहीं होता। क्योंकि इन गांवों में स्थित मजदूर कॉलोनियों की गंदगी ट्रैक्टर संचालक टैंकर के माध्यम से खुले में छोड़ जाते हैं। ट्रैक्टर-ट्रैंकर संचालको को एसटीपी में गंदगी छोडऩे के लिए 2100 रुपए में लाइसेंस दिया जाता है, लेकिन इस राशि को बचाने के लिए वे खुले में प्रदूषण फैलाते हैं। जिन आठ संचालकों को लाइसेंस दिए वे भी एसटीपी तक नहीं पहुंच रहे हैं। सेप्टिक टैंक से निकली गंदगी को खुले में छोडऩे पर परिवहन विभाग द्वारा प्रदूषण फैलाने और एमवी एक्ट में कार्रवाई की जाती हैं लेकिन अभी तक नगर परिषद ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की है। क्षेत्र की करीब 500 मजदूर कॉलोनियों से हर रोज निकलने वाली गंदगी संक्रमण फैला रही है। इन कॉलोनियों के सेफ्टिक टैंक से हर रोज करीब 80 से 100 तक गंदगी से भरे टैंकर निकलते हैं, जिन्हें ट्रैक्टर चालक आसपास के नालों में बहाते हैं। जब से प्रशासन ने सख्ती दिखाई है, गंदगी को खुले में छोडऩे के लिए रात का समय देखा जाता है। नगर परिषद के भिवाड़ी, नंगलिया, आलमपुर, सांथलका, रामपुर मुंडाना, कहरानी सहित आसपास के क्षेत्र में बड़ी संख्या में मजदूर कॉलोनियां हैं। इन कॉलोनियों में एक साथ सैकड़ों परिवार रहते हैं। इनके यहां हर रोज निकलने वाला अपशिष्ट सेप्टिक टैंक में भरता है। इसे क्षेत्र में संचालित ट्रैक्टर टैंकर चालक खाली करते हैं। इसके लिए एक हजार से पंद्रह सौ रुपए तक लेते हैं। ट्रैक्टर-टैंकर संचालक सीईटीपी से नगीना गार्डन, आलमपुर मंदिर से बस स्टैंड वाले नाले में अधिकतर गंदगी छोड़ी जाती है। इस तरह ये लोग हर रोज 1.20 लाख से 1.50 लाख रुपए रोजाना कमाकर पर्यावरण का नुकसान कर रहे हैं। अगर इस गंदगी को एसटीपी तक पहुंचाया जाए तो इसका सही प्रकार से शोधन होगा।
डीजल बचाने नहीं पहुंचे एसटीपी
नगर परिषद ने आठ ट्रैक्टर संचालकों को एसटीपी में अपशिष्ट खाली करने का लाइसेंस दिया। छह महीने पहले दिए लाइसेंस में पहले आवासन मंडल एसटीपी, इसके बाद उन्हें वसुंधरा नगर एसटीपी में अपशिष्ट खाली करने के लिए कहा गया। बाद में दोनों एसटीपी में तकनीकि समस्या आने और भार अधिक होने की वजह से मुंडाना भेजा जाने लगा। मुंडाना की दूरी अधिक होने की वजह से डीजल बचाने और उतने समय में अधिक चक्कर लग जाने की वजह से वहां भी ट्रैक्टर-टैंकर पहुंचना कम हो गए। नगर परिषद ने निगरानी कम कर दी और मामला बिगड़ गया।
घरेलू औद्योगिक अपशिष्ट खुले में छोडऩे वाले ट्रैक्टर-टैंकर का डाटा जुटाया गया है। उनके साथ बैठक कर समझायश की गई है। खुले में छोड़ते मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एसएस खोरिया, जीएम, डीआईसी