भोपाल

आरजीपीवी स्कैम 19 करोड़ नहीं 156 करोड़ का

भोपाल. आरजीपीवी में वित्त अनियमित्ता का खेल सालों ने चल रहा है। इसके बाबजूद विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर परदा डालता रहा। यहां बात सिर्फ 19 करोड़ की हो रही है, जबकि यह घोटाला 156 करोड़ रुपए का है। कोषागार एवं लेखा विभाग की जांच समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में मार्च 2023 में ही इससे उल्लेख […]

less than 1 minute read
Jun 11, 2024

भोपाल. आरजीपीवी में वित्त अनियमित्ता का खेल सालों ने चल रहा है। इसके बाबजूद विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर परदा डालता रहा। यहां बात सिर्फ 19 करोड़ की हो रही है, जबकि यह घोटाला 156 करोड़ रुपए का है। कोषागार एवं लेखा विभाग की जांच समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में मार्च 2023 में ही इससे उल्लेख कर दिया गया था। घोटाले के बारे में जानने के बावजूद, आरजीपीवी ने तत्कालीन वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा को 31 अक्टूबर, 2023 को सेवानिवृत्त होने की अनुमति दे दी। विश्वविद्यालय ने उनके लिए एनओसी की भी सिफारिश की, जिससे वर्मा को अपने सभी सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करने की अनुमति मिल गई। ऐसे में विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में हैं। जांच समिति ने सितंबर 2023 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि दो निजी बैंकों में 156 करोड़ रुपए की एफडी रखी गई थी, जो
विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन है। रिपोर्ट में वित्त नियंत्रक वर्मा और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों को इस अनियमितता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

-कुलपति की गिरफ्तारी तक सीमित जांच

आरटीआई कार्यकर्ता ने इस मामले पर गंभीर चिंता जताते हुए सवाल उठाया है कि शुरू में घोटाले को 156 करोड़ रुपए के बजाय 19 करोड़ रुपये क्यों बताया गया। उन्होंने जांच समिति के निष्कर्षों के बावजूद वर्मा के लिए एनओसी की सिफारिश पर भी सवाल उठाया। सिंह ने यह भी बताया कि जांच समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया। बाद में जब मार्च 2024 में मामला प्रकाश में आया तो वर्मा और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन यह जांच सिर्फ कुलपति की गिरफ्तारी तक सीमित होकर रह गई।

Published on:
11 Jun 2024 12:25 pm
Also Read
View All

अगली खबर