बदलती जीवनशैली में महिलाओं में हार्मोन असंतुलन एक आम समस्या है। उसकी वजह से उन्हें कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मूड स्विंग्स, तनाव, अनिद्रा जैसी समस्याएं भी हार्मोन असंतुलन के कारण हो सकती हैं।
Panchakarma : बदलती जीवनशैली में महिलाओं में हार्मोन असंतुलन एक आम समस्या है। उसकी वजह से उन्हें कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मूड स्विंग्स, तनाव, अनिद्रा जैसी समस्याएं भी हार्मोन असंतुलन के कारण हो सकती हैं। अगर आप हार्मोन असंतुलन से पीड़ित हैं, तो आयुर्वेद में कुछ आसान उपाय हैं। जिससे आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं।
शरीर के अंदर जमा अतिरिक्त हार्मोन को साफ करने के लिए आयुर्वेदिक पंचकर्म उपचार ले सकते हैं। वमन शरीर में जमा अतिरिक्त बलगम से श्वसन पथ, पेट को साफ करने के लिए उल्टी को प्रेरित करता है। यह कफ असंतुलन को कम करने में मदद करता है। नास्यम दूसरी डिटॉक्स विधि है, जिसमें हार्मोनल स्वास्थ्य को नियंत्रित करने वाली पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करने के लिए नाक के माध्यम से औषधीय तेलों को शामिल करना शामिल है। यह नाक के मार्ग से किसी भी अशुद्धता और अतिरिक्त बलगम को साफ करने में भी मदद करता है।
पंचकर्म (Panchakarma) से जुड़े आयुर्वेदिक तरीके शरीर को डिटॉक्स करने, दोषों को संतुलित करने और पाचन में सुधार करने और समग्र जीवन शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह पुरानी और जीवनशैली संबंधी बीमारियों से उबरने में भी मदद करता है और शरीर में तनाव को कम करता है। परामर्श के लिए किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से बात करें और अपने लक्षणों को दूर करने के लिए पंचकर्म थेरेपी लें।
हार्मोन असंतुलन शरीर द्वारा अपने स्वयं के हार्मोन को पचाने में असमर्थता के कारण होता है। यदि पहले से ही हार्मोन असंतुलित हैं तो मांस, समुद्री भोजन, अंडे व डेयरी उत्पादों का सेवन न करें। इनमें एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन, कोर्टिसोल और पशु द्वारा वध के दौरान छोड़े गए मवाद जैसे हार्मोन होते हैं। ये लाभ के बजाय अधिक नुकसान पहुंचाएंगे।
हार्मोन और स्त्री रोग संबंधी स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कारक आंत होती है। गट हैल्थ अच्छी रहेगी तो शरीर गर्भाशय और अंत: स्रावी ग्रंथियों को ठीक करना शुरू कर देता है, जो हार्मोन का उत्पादन करते हैं।
आहार में शतावरी, अश्वगंधा, त्रिफला जैसी प्राकृतिक जड़ी-बूटियां भी शामिल कर सकते हैं जो हार्मोन को संतुलित करने में मदद करती हैं। इन्हें लेने पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
गर्भाशय में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए हल मुद्रा, ऊंट मुद्रा, तितली आसन जैसे योग आसन कर सकते हैं। कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें। - डॉ. डिम्पल जांगड़ा, आयुर्वेदिक कोच व गट थेरेपिस्ट