देहरादून

भिलंगना झील से मंडरा रहा महाविनाश का खतरा ! अध्ययन में मिला डरावना सच, जानें क्यों चिंतित हैं वैज्ञानिक

Danger Alert:भिलंगना झील से जल प्रलय का खतरा उत्पन्न होने लगा है। करीब चार दशक के दौरान इस झील की लंबाई 1.204 किमी और चौड़ाई 528 मीटर लंबी हो चुकी है। वैज्ञानिक अध्ययन में इसका खुलासा होने से हड़कंप मचा हुआ है।

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Dec 03, 2025
ग्लेशियर पिघलने से बनी झील। प्रतीकात्मक फोटो

Danger Alert:झील के बढ़त आकार से वैज्ञानिक और आम लोगों की चिंता बढ़ गई है। उत्तराखंड के टिहरी जिले के घनसाली क्षेत्र में दूधगंगा ग्लेशियर पिघलने से बनी भिलंगना झील का आकार लगातार बढ़ रहा है। ग्लेशियर पिघलने के कारण लगातार इस झील का आकार बड़ा होता जा रहा है। साल 1980 में अस्तित्व में आई इस झील का आकार अब 1.204 किमी और चौड़ाई 528 मीटर हो चुका है। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक देश के चार बड़े संस्थानों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार का अध्ययन कर रहे हैं। वैज्ञानिक अध्ययन में भिलंगना झील के बढ़ते आकार का मामला सामने आने से लोग चिंतित हैं। बता दें कि उत्तराखंड में केदारनाथ आपदा हो या खीरगंगा आपदा ये महाविनाश की ये बड़ी घटनाएं झीलों के फंटने के कारण ही हुई थी। इन जल प्रलयों में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। केदारनाथ आपदा का जख्म पूरे देश को अब भी याद ही होगा। केदारनाथ आपदा के बाद से वैज्ञानिकों का रुख पिघलते ग्लेशियर की ओर बढ़ा है। देश के वैज्ञानिक उत्तराखंड के ग्लेशियर और उनसे बनने वाली झीलों का लगातार अध्ययन कर रहे हैं। इधर, वाडिया हिमालय भू-वैज्ञानिक संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक अमित कुमार के मुताबिक, इस झील का आउटब्रस्ट 30 मीटर प्रति सेकेंड के रफ्तार से 3645 क्यूबिक मीटर पानी छोड़ सकता है।

10 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा

ग्लेशियर पिघलने से बनी भिलंगना झील का आकार लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस झील में करीब 10 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा हो चुका है। हिमालय में 4750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस झील को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी ने भी बेहद खतरनाक श्रेणी में शामिल किया है। यदि झील को नुकसान पहुंचता है तो निचले इलाकों में आबादी और संसाधन बुरी तरह प्रभावित होंगे।या सीधे शब्दों में कहें तो झील फटने से आसपास के तमाम इलाकों में जल प्रलय आ सकता है। इससे बड़ी तबाही मच सकती है।

इस रफ्तार से पिघल रहे ग्लेशियर

वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने देश के चार बड़े संस्थानों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार का अध्ययन किया है। 1968 से 2025 के आंकड़ों का अध्ययन से पता चला है कि इस क्षेत्र में मौजूद ग्लेशियर 0.7 मीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से पिघल रहा है। ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ी तो झील का फैलाव भी तेज होता गया। झील में जमा लाखों क्यूबिक मीटर पानी निचले इलाकों को पलक झपकते ही तबाह कर सकता है। भिलंगना नदी बेसिन में छोटे बड़े 36 ग्लेशियर हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 78 वर्ग किलोमीटर है बेसिन में 11 अन्य ग्लेशियर झीलें भी हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 0.61 वर्ग किलोमीटर है। ग्लेशियर पिघलने से 2000 से 2020 तक झीलों की संख्या में 47 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।

Published on:
03 Dec 2025 08:22 am
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