Government Gift: नए साल से सरकार राज्य के 10 लाख परिवारों को हर माह पांच किलो सस्ते गेहूं की सौगात देने जा रही है। सरकार ने दो साल पुरानी व्यवस्था को दोबारा बहाल कर दिया है। इसके अलावा सरकार ने अनाज आवंटन के अनुपात में भी बदलाव कर दिया है। इससे इन परिवारों में खुशी का माहौल है।
Government Gift: 10 लाख परिवारों को नए साल से हर माह पांच किलो सस्ते गेहूं की सौगात मिलने वाली है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के लिए विशेष रूप से इस योजना को बहाल किया है। अब नए साल से 10 लाख परिवारों को राज्य खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ मिलने लगेगा। बता दें कि उत्तराखंड में राज्य खाद्य योजना के तहत केवल 7.5 किलो चावल ही मिल रहा था। उत्तराखंड के अपर खाद्य आयुक्त पीएस पांगती के मुताबिक इस संबंध में केंद्र सरकार का आदेश मिल चुका है। बताया कि केंद्र सरकार ने फोर्टिफाइड राइस के लिए मानक बदले हैं। इसी के चलते चावल उठान में कुछ समस्या आई है। लेकिन अब प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। एक सप्ताह के भीतर चावल उपलब्ध हो जाएगा। बताया कि केंद्र सरकार ने इसी अनुपात में राज्य के लिए नए अनाज का आवंटन किया है। बता दें कि , साल 2013-14 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना लागू होने पर उत्तराखंड के 15 हजार रुपये मासिक आय वाले 12 लाख से अधिक परिवार इसके दायरे में आ रहे थे। केंद्र सरकार के मानक के अनुसार एनएफएसए का लक्ष्य 60.92 लाख था। इसमें दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से दो किलो गेहूं और तीन रुपये प्रति किलो दर से तीन किलो चावल दिया जाता है। कोरोना और उसके बाद से केंद्र सरकार अनाज मुफ्त ही दे रही है।
उत्तराखंड में एनएफएसए से छूटे राज्य के बाकी पात्र 40 लाख लोगों को रियायती अनाज देने के लिए अक्टूबर 2015 में राज्य खाद्य सुरक्षा योजना लागू की गई थी। इसमें 11 रुपये प्रति किलो के हिसाब से ढाई किलो चावल और 8.60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पांच किलो गेहूं देना तय किया गया था।
उत्तराखंड में सरकारी चावल की कमी से लोगों को तमाम परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। दिसंबर में आपूर्ति नहीं होने से कार्ड धारकों को चावल नहीं मिल पा रहा है। इससे सभी जिलों में सरकारी राशन की दुकानों पर चावल का संकट पैदा हो गया है। समय रहते चावल का कोटा नहीं मिला तो स्कूलों में मिड डे मील पर भी संकट खड़ा हो सकता है। कई आंगनबाड़ी केंद्रों में भी चावल खत्म हो चुका है। चावल खरीद की प्रक्रिया बदलने से किसी भी जिलों को चावल का कोटा नहीं मिला है। इससे लोगों के सामने चावल का संकट खड़ा हो गया है। पूर्ति विभाग के अधिकारियों के मुताबिक चावल के कोटे के लिए समय रहते डिमांड भेजी गई थी, लेकिन अभी मुख्यालय से आपूर्ति नहीं हो पाई है।