शिक्षा

NEET में नहीं आई अच्छी रैंक, तो विदेश के इन देशों से सस्ते में कर सकते हैं MBBS की पढ़ाई

MBBS Education: भारत में सीमित सरकारी सीटें और प्राइवेट कॉलेजों की भारी-भरकम फीस हजारों छात्रों को हर साल विदेश भेज रही है। कई ऐसे देश हैं जहां मेडिकल की पढ़ाई न केवल सस्ती है, बल्कि...

2 min read
Jun 15, 2025
Medical Students(Symbolic AI Image)

NEET UG 2025 में अगर आपकी रैंक मनचाही नहीं आई है और भारत में सरकारी मेडिकल सीट नहीं मिल पा रही है, तो निराश होने की जरूरत नहीं है। डॉक्टर बनने का सपना अब भी पूरा हो सकता है। वो भी कम खर्च में, विदेश में MBBS की पढ़ाई करके। भारत में सीमित सरकारी सीटें और प्राइवेट कॉलेजों की भारी-भरकम फीस हजारों छात्रों को हर साल विदेश भेज रही है। कई ऐसे देश हैं जहां मेडिकल की पढ़ाई न केवल सस्ती है, बल्कि वहां की डिग्रियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य हैं। इन कॉलेजों को भारत की नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की मान्यता भी प्राप्त है।

किन देशों में कर सकते हैं सस्ती MBBS?

रूस: यहाँ MBBS की फीस सालाना करीब ₹1.75 लाख से शुरू होती है। कोर्स की अवधि 6 साल है और कुल खर्च ₹18 से ₹35 लाख तक हो सकता है।

चीन: चीन की यूनिवर्सिटियों में MBBS का सालाना खर्च करीब ₹1.25 लाख से शुरू होकर ₹6–7 लाख तक जाता है। कोर्स की अवधि आमतौर पर 6 साल होती है।

किर्गिस्तान: कुल खर्च ₹15 से ₹22 लाख के बीच रहता है और कोर्स 5 से 6 साल का होता है।

कजाकिस्तान: यहां भी पढ़ाई का खर्च ₹18–25 लाख के आसपास होता है और कोर्स आमतौर पर 5 वर्षों में पूरा हो जाता है।

फिलीपींस: यहां मेडिकल पढ़ाई पर कुल ₹20 से ₹30 लाख तक खर्च होता है और कोर्स 5.5 से 6 साल लंबा होता है।

विदेश में MBBS क्यों है फायदेमंद

कम फीस: भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में MBBS की लागत ₹50 लाख से ₹1.5 करोड़ तक हो सकती है, जबकि विदेशों में यह खर्च आधा या उससे भी कम रहता है।

अंतरराष्ट्रीय मान्यता: रूस, चीन, किर्गिस्तान, फिलीपींस जैसे देशों की डिग्रियों को NMC मान्यता प्राप्त है।

सरकारी सपोर्ट: कई देशों की सरकारें मेडिकल एजुकेशन को सब्सिडी देती हैं, जिससे छात्रों को कम खर्च में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर और एक्सपोजर: आधुनिक लैब, अनुभवयुक्त फैकल्टी और इंटरनेशनल क्लासरूम छात्रों को बेहतर अनुभव देते हैं।

Also Read
View All

अगली खबर