सरिता की जिंदगी कोई किताब नहीं, एक जीता-जागता साहसिक उपन्यास है। वो कहती है, ‘चुनौतियां आती हैं ताकि हम नदियां बनें - कभी मुडक़र न देखें।’ अगर आप भी ऐसी धारा बनना चाहें, तो सरिता से सीखें- हार न मानो, बस बहते जाओ।
कल्पना कीजिए, कानपुर की गलियों में एक नदी बहती है नाम है सरिता। लेकिन ये पानी की धारा नहीं, एक ऐसी धारा है जो बिजली के झटके से गुजर चुकी है। 1995 की वो दोपहर, जब चार साल की सरिता छत पर थी, हवा में लटका बिजली का तार नीचे गिरा। 11,000 वोल्ट की चिंगारी ने उसके हाथों को छीन लिया, पैर को आधा कर दिया। डॉक्टरों ने कहा, ‘बच तो गई, लेकिन जिंदगी अब व्हीलचेयर पर सवार होगी।’
लेकिन सरिता ने हंसकर कहा, ‘तो क्या? मैं तो नदी हूं, रुकती कहां हूं?’ आज वो बाएं पैर से ब्रश थामे मधुबनी की रंगीन दुनिया रचती है, वो चित्र जहां हर लकीर संघर्ष की कहानी कहती है। काहिरा के बोशिया कोर्ट में, जब पहली बार भारत की पहली पैरा-एथलीट बनी, तो उन्होंने अपना वो जज्बा दिखाया कि उनके खाते में दो मेडल आए। ‘खेल तो मन से खेला जाता है,’ उन्होंने कहा, और स्टेडियम गूंज उठा। फिर वो रैंप पर। 2024 का धरोहर फैशन शो। व्हीलचेयर पर साड़ी लहराती सरिता, शो-स्टॉपर। दर्शक सन्न। ‘विविधता ही फैशन है,’ कहते हुए वो मुस्कुराई। और नवाचार? 2025 में वियना की संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस में, उसका 3-इन-1 व्हीलचेयर स्टैंड - छाता होल्डर से मोबाइल स्टैंड तक, अवॉर्ड जीतकर लौटा। ‘मैंने तो बस अपनी नदी को सुविधाजनक बनाया,’ सरिता ने हंसकर कहा। सरिता की जिंदगी कोई किताब नहीं, एक जीता-जागता साहसिक उपन्यास है। वो कहती है, ‘चुनौतियां आती हैं ताकि हम नदियां बनें - कभी मुडक़र न देखें।’ अगर आप भी ऐसी धारा बनना चाहें, तो सरिता से सीखें- हार न मानो, बस बहते जाओ।
जब मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई
पत्रिका संवादादाता राखी हजेला से बात करते हुए वह कहती हैं- मेरा नाम सरिता द्विवेदी है जिसका अर्थ है नदी और मैं भी जीवन की धारा में निरंतर बहती रहती हूं। भाग्य ने मेरी शारीरिक क्षमताओं को चुनौती दी है, लेकिन मेरी मानसिक शक्ति कभी नहीं हारी। मैं एक विशेष रूप से सक्षम, स्वतंत्र महिला हूं, जिसके अंदर कभी न टूटने वाला जज्बा है। मैं 10 अगस्त 1995 को मात्र 4 साल की थी, जब मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। उस दिन मैं अपनी मां के भाई के घर की छत पर खेल रही थी। अचानक 11,000 वोल्ट का हाई टेंशन तार मुझ पर गिर पड़ा। झटका इतना तेज था कि मेरे सिर के बीच से आग की लपटें निकलने लगीं। किसी तरह मैं बच तो गई, लेकिन अस्पताल से जब घर लौटी तो मेरे हाथ गायब थे और दाहिना पैर आधा रह गया था। यहीं से मेरी नई जिंदगी की शुरुआत हुई, एक ऐसी यात्रा जहां मैंने अपनी सीमाओं को पार किया।
जीवन मेरा सबसे बड़ा शिक्षक
आज मैं पूरी तरह स्वतंत्र हूं। मैं अपने सभी रोजमर्रा के काम अपने बाएं पैर और मुंह से करती हूं। हां, मैं दांत साफ कर सकती हूं, नहा सकती हूं, खा सकती हूं, लिख सकती हूं, पेंटिंग कर सकती हूं, खाना पका सकती हूं, सब कुछ वैसा ही जैसे कोई सामान्य महिला करती है। मैं अपनी जिंदगी को अपने अनोखे अंदाज में जी रही हूं और इसमें मुझे गर्व है।
मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से Fine Arts में स्नातक किया है। कला मेरा जुनून है, और मैं एक मधुबनी कलाकार हूं। मैं आर्टिफिशियल लिम्ब्स मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एएलआईएमसीओ) से जुड़ी हूं, जहां मैं ब्रांड एंबेसडर हूं। यहां मैं बागवानी विभाग, हाउसकीपिंग विभाग और गेस्ट रिसेप्शन का प्रबंधन करती हूं। साथ ही, मैं दिव्यांगजनों को भारत सरकार की योजनाओं जैसे एडीआइपी और राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत लाभ दिलाने में मदद करती हूं। मैं हमेशा कुछ नया सीखती रहती हूं , जीवन मेरा सबसे बड़ा शिक्षक है।
मेरे माता पिता मेरी चट्टान
माता-पिता का जिक्र आते ही सरिता की आंखें नम हो जाती हैं। वो कहती हैं, मेरे माता पिता मेरी चट्टान हैं, उनका विश्वास ही वो ताकत है जिसने मुझे कभी झुकने न दिया। और प्रेरणा? जीवन खुद! हर सुबह नई सीख लाता है, हर शाम नई कहानी। मेरी शिक्षा का सफर आसान नहीं था। कई स्कूलों ने मुझे एडमिशन देने से मना कर दिया और विशेष स्कूल जाने की सलाह दी। लेकिन मेरे माता-पिता ने हार नहीं मानी। उन्होंने मुझे सामान्य कक्षाओं में पढ़ाया, जहां मैंने अन्य बच्चों की तरह ही चुनौतियां झेलीं। मैंने अपनी स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय, ओल्ड कैंट, तेलियरगंज, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से पूरी की। इसका पूरा श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है, जिन्होंने हमेशा मेरी क्षमताओं पर विश्वास किया। मेरी मां मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं और उन्होंने मुझे अनुशासित और सामान्य तरीके से पाला।
हार मत मानो, बस एक कदम आगे बढ़ाओ
मैं एक साधारण, जमीन से जुड़ी इंसान हूं। मुझे अच्छे लोगों से मिलना, दोस्ती करना और विशेष रूप से सक्षम लोगों को सकारात्मकता के लिए परामर्श देना पसंद है, खासकर इंस्टाग्राम और फेसबुक के माध्यम से। मुझे पेंटिंग करना, बौद्धिक वार्तालाप करना, नई चीजें और कौशल सीखना अच्छा लगता है। मेरा जीवन-मंत्र है- -मैं हर चीज में दक्ष बनूं, न कि केवल जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स। भारतीय संस्कृति मेरी जड़ें हैं, इसलिए पारंपरिक परिधान, मूर्तिकला, कला और भारतीय भोजन मुझे बहुत प्रिय हैं। मुझे अकेले यात्रा करना पसंद है, बच्चों को कला सिखाना अच्छा लगता है। मैं मानवाधिकारों की समर्थक हूं, चाहे वह दिव्यांगों के हों या सामान्य लोगों के। मेरा मानना है कि ‘चुनौतियां आती हैं नदियों को मोडऩे के लिए, लेकिन हम बहते रहते हैं। हार मत मानो, बस एक कदम आगे बढ़ाओ - वही कदम जो पहाड़ों को चीर देता है।
खेल की दुनिया में मेरा सफर- पैरा बोशिया खिलाड़ी
जनवरी 2024 में गोवा के इंटरनेशनल पर्पल फेस्ट में राज्य स्तरीय बोशिया टूर्नामेंट हुआ। मैंने कभी खेलों में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन मैंने साहस दिखाया और स्वर्ण पदक जीता। यह मेरे खेल जीवन की शुरुआत थी।
फिर, फरवरी 2024 में 8वीं बोशिया सब-जूनियर और सीनियर चैंपियनशिप में मैंने बीसी-3 इंडिविजुअल कैटेगरी में रजत पदक जीता। जुलाई 2024 में वल्र्ड बोशिया चैलेंजर, काहिरा (मिस्र) में मैंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और दो कांस्य पदक जीते, एक बीसी-3 इंडिविजुअल में (भारत की पहली पैरा-एथलीट इस कैटेगरी में कांस्य जीतने वाली) और दूसरा बीसी-3 पेयर कैटेगरी में (भारत का पहला पेयर मेडल)। जनवरी 2025 में 9वीं बोशिया सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर नेशनल चैंपियनशिप, विशाखापट्टनम में मैंने दो रजत पदक जीते- एक बीसी-3 इंडिविजुअल महिला वर्ग में और दूसरा बीसी-3 पेयर में, अपने साथी सचिन चमडिय़ा के साथ।
मेरी जीवन-कथा एनसीईआरटी की हिंदी पाठ्यपुस्तकों में शामिल
2024 में मैंने फैशन की दुनिया में एंट्री की। फिक्की फ्लो कानपुर चैप्टर के ‘धरोहर 2024’ इन्क्लूसिव फैशन शो में मैं शो स्टॉपर बनी। इस रैंप पर मैंने साबित किया कि फैशन में विविधता ही सच्ची सुंदरता है। 2025 में, ट्रिपल एम्प्यूटी होने के बावजूद, मैंने अपनी दिनचर्या को आसान बनाने के लिए एक लो-कॉस्ट, व्हीलचेयर-माउंटेड 3-इन-1 स्टैंड डिजाइन किया। इसमें अम्ब्रेला होल्डर, यूटिलिटी ट्रे और मैग्नेटिक मोबाइल स्टैंड शामिल हैं। यह सरल सामग्रियों से बनाया गया, जो मौसम से सुरक्षा, जरूरी सामान रखने और हैंड्स-फ्री मोबाइल यूज की सुविधा देता है। इसे जीरो प्रोजेक्ट कॉन्फ्रेंस 2025 (संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, वियना, ऑस्ट्रिया) में डिस्कवरी अवॉर्ड मिला।
मैं कौन हूं? मैं मधुबनी कलाकार भी हूं और इसमें चार राष्ट्रीय और एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हूं। मेरी जीवन-कथा एनसीईआरटी की हिंदी पाठ्यपुस्तकों में शामिल है।
मैं एक मधुबनी कलाकार हूं (4 राष्ट्रीय और 1 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त), पैरा बोशिया बीसी-3 एथलीट (राज्य स्तरीय स्वर्ण, 2 बार राष्ट्रीय रजत, अंतरराष्ट्रीय डबल कांस्य), एएलआईएमसीओ की ब्रांड एंबेसडर, व्हीलचेयर मॉडल, फैशन शो स्टॉपर, फोटोग्राफर, स्कल्प्टर, ज्वेलरी मेकर, क्रिएटिविटी हंटर। मैं इलेक्ट्रिक शॉक सर्वाइवर हूं, वर्कहोलिक, इनोवेटर और गर्वित भारतीय। मेरी जीवन-कथा एनसीईआरटी की हिंदी पाठ्यपुस्तकों में शामिल है। मैं हर चुनौती को अवसर में बदलती हूं - संघर्ष से सफलता तक।
उपलब्धियां असंख्य इनके नाम
2005- राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान -भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा प्रदान किया गया। यह कला में उनके बचपन की प्रतिभा के लिए था।
2008- नेशनल अवॉर्ड फॉर एम्पावरमेंट ऑफ पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज की ओर से बेस्ट क्रिएटिव चाइल्ड का अवॉर्ड। विज्ञान भवन,नई दिल्ली में पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने प्रदान किया। यह दिव्यांग बच्चों के सशक्तीकरण के लिए था।
2009- अंतरराष्ट्रीय कला प्रतियोगिता में रजत पुरस्कार- विषय दुनिया की नजर में मिस्र। मिस्र दूतावास और इजिप्शियन मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर द्वारा प्रदान किया गया। यह उनकी अंतरराष्ट्रीय कला प्रतिभा का प्रमाण था।
2010- गॉडफ्रे फिलिप्स नेशनल ब्रेवरी अवॉर्ड - नई दिल्ली में डॉ. फारूक अब्दुल्ला और भारत की पहली महिला जस्टिस लीला सेठ द्वारा प्रदान किया गया। यह उनकी मानसिक मजबूती के लिए था।
जनवरी 2024- स्वर्ण पदक, गोवा के इंटरनेशनल पर्पल फेस्ट में आयोजित राज्य स्तरीय बोशिया टूर्नामेंट में जीता।
फरवरी 2024- 8वीं बोशिया सब.जूनियर और सीनियर चैंपियनशिप 2023-24 में बीसी-3 कैटेगरी में रजत पदक जीता। इसका आयोजन बोशिया Sports फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से किया गया था।
जुलाई 2024- काहिरा में आयोजित World बोशिया चैलेंजर में बीसी-3 कैटेगरी में व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक जीता काहिरा में बीसी-3 इंडिविजुअल प्रतिस्पर्धा में जीता। वह इस कैटेगरी में भारत की पहली पैरा-एथलीट थीं। साथ ही भारत के लिए पहला पेयर मेडल भी जीता।
जनवरी 2025- नवीं बोशिया सब जूनियर, जूनियर और सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में जीते दो पदक। बीसी-3 व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में रजत पदक और बीसी-3 पेयर में अपने साथ सचिन चमडिय़ा के साथ रजत पदक।
2025- डिस्कवरी अवॉर्ड- संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, वियना में आयोजित जीरो प्रोजेक्ट कॉन्फ्रेंस में प्रदान किया गया।