जयपुर

जयपुर के रामगढ़ बांध की यादें, कभी खुशियों से था लबालब, अब कर जाता है आंखें नम…

Ramgarh Dam Jaipur : जयपुर के रामगढ़ बांध में 5 जून को वृहत् श्रमदान कार्यक्रम होगा। पर रामगढ़ बांध को याद कर जयपुर की जनता अब अपनी आंखें नम कर लेती है। पूछने पर हर आदमी के जुबां पर सिर्फ एक ही उत्तर था...ऐसा था बांध। रामगढ़ बांध के बारे में सुनिए इनकी जुबानी।

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1982 के एशियाई खेलों का दृश्य। फाइल फोटो पत्रिका

Ramgarh Dam Jaipur : रियासतकालीन जयपुर की जीवनरेखा रहा रामगढ़ बांध कभी कई साल तक लबालब भरा रहता था। उस सुनहरे दौर को देखने वाले जयपुर के लोग आज भी "ऐसा था रामगढ़ बांध" कहते हुए भावुक हो उठते हैं। 1982 के एशियाई खेलों के समय तक भरपूर जल से भरा रहने वाला यह बांध शनिवार और रविवार को पिकनिक स्पॉट बन जाता था। पूरे दिन वहां मेले जैसा माहौल रहता था।

अब एनीकट और अतिक्रमणों ने सब कुछ खत्म कर दिया

1981 के बाद बांध कई वर्षों तक भरता रहा, लेकिन धीरे-धीरे बहाव क्षेत्र में बने एनीकट और अतिक्रमणों ने इसकी प्राकृतिक जल आवक को रोक दिया। 2005 में आखिरी बार बांध में अच्छी मात्रा में पानी आया था।
बांध का भरना, एशियाड जैसे आयोजन का होना और फिर उसका धीरे-धीरे सूख जाना…यह सब जिमेदारों की आंखों के सामने होता रहा, लेकिन इसे बचाया नहीं जा सका।

जयपुरवासी पीते थे रामगढ़ बांध का पानी

रामगढ़ बांध से जयपुर शहर को जल आपूर्ति होती थी। यहां से पानी लक्ष्मण डूंगरी पहुंचता था, और फिर सांगानेरी गेट स्थित काली जी का मंदिर, जवाहर नगर और मेहंदी का चौक पंप हाउस के जरिए लोगों तक बांध का पानी पहुंचता था।

केएल मीणा, फोटो पत्रिका

1981 में बांध पर चली 11 फीट की चादर, गांवों में भर गया था पानी

जमवारामगढ़ के सिंहरों का बास निवासी 71 वर्षीय केएल मीणा बताते हैं कि रामगढ़ बांध का ओवरलो होना अद्भुत अनुभव था। उन्होंने 1976 और 1977 में बांध में चादर चलते देखा, लेकिन 1981 में सारे रिकॉर्ड टूट गए। उस साल बांध में 11 फीट तक चादर चली। गांव में 5 फीट तक पानी भर गया और नक्ची घाटी से जयपुर का रास्ता दो महीने तक बंद रहा। उस समय पर्यटन शिखर पर था और बांध के पास टूरिस्ट विलेज भी बनाया गया था। 20-30 किलोमीटर क्षेत्र में पूरे साल हरियाली रहती थी। 1960 के नक्शे के अनुसार यदि आसपास के नालों को साफ करा दिया जाए, तो यह बांध एक ही मानसून में भर सकता है।

सेवानिवृत्त आईएएस प्रागेश्वर तिवारी, फोटो पत्रिका

उस दौर को याद कर हुए रोमांचित, अब के हालात पर भावुक

जयपुर निवासी 90 वर्षीय सेवानिवृत्त आईएएस प्रागेश्वर तिवारी उस दौर को याद करते हुए रोमांचित हो उठते हैं और आज की स्थिति पर भावुक हो जाते हैं। वे बताते हैं, ’1980 के दशक में हम हर साल पिताजी का जन्मदिन रामगढ़ बांध पर मनाते थे। यह सिलसिला करीब 10-12 साल तक चला। राजा भी यहां शिकार करने आते थे।’ वह याद करते हैं कि 1981 में जब बांध ओवरलो हो गया, तो पानी की लगातार आवक से डर लगने लगा था कि कहीं बांध टूट न जाए और अलवर-भरतपुर तक पानी न फैल जाए। हालांकि कुछ दिन बाद जब पानी की आवक कम हुई, तो प्रशासन और लोगों ने राहत की सांस ली।

इनकी जुबानी…..

नीरज, तहसील प्रवक्ता, ईआरसीपी संयुक्त मोर्चा, जमवारामगढ़, फोटो पत्रिका

रामगढ़ बांध में पानी देखना जीवन का सपना है। बांध से जुडे़ हर आंदोलन में शामिल हुआ हूं और 5 जून को बांध पर होने वाले कार्यक्रम में युवाओं के साथ शामिल होंगे।
नीरज, तहसील प्रवक्ता, ईआरसीपी संयुक्त मोर्चा, जमवारामगढ़

तुलसीदास चिंतामणि, सदस्य, रामगढ़ बांध बचाओ संघर्ष समिति, जमवारामगढ़, फोटो पत्रिका

रामगढ़ बांध में पानी आने से पहले श्रमदान करके बांध की सफाई के अभियान की शुरुआत सीएम के हाथों से होना बड़ी बात है। सबको इसमें शामिल होना चाहिए।
तुलसीदास चिंतामणि, सदस्य, रामगढ़ बांध बचाओ संघर्ष समिति, जमवारामगढ़

बादाम देवी शर्मा, सरपंच, ग्राम पंचायत राहौरी, फोटो पत्रिका

रामगढ़ बांध को पुनर्जीवित करने के लिए पत्रिका की मुहिम सराहनीय है। यह सामाजिक सरोकारों को जीवंत करने वाली है।
बादाम देवी शर्मा, सरपंच, ग्राम पंचायत राहौरी

राजेंद्र कुमार शर्मा, निवासी आंधी, फोटो पत्रिका

रामगढ़ बांध की सफाई व मिट्टी खुदाई होने से बांध के स्वरूप में निखार आएगा। श्रमदान कार्यक्रम में युवाओं के साथ जरूर शामिल होंगे।
राजेंद्र कुमार शर्मा, निवासी आंधी

डिप्टी सीएम दिया कुमारी, फाइल फोटो पत्रिका

बावड़ियों की होगी साफ-सफाई, बनेगी कार्ययोजना

डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने गुरुवार को पुरातत्व एवं पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने राज्य की ऐतिहासिक बावड़ियों के संरक्षण और पुनरुद्धार की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने कहा कि राजस्थान की बावड़ियों को एक प्रभावी जलस्रोत के रूप में विकसित करना आवश्यक है। इसके लिए न केवल बावड़ियों की सफाई और मरमत जरूरी है, बल्कि जल आगमन के मार्गों को दुरुस्त करना भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि बावड़ियों में जमा कचरे और वर्षों से जमी मिट्टी को हटाने की सुनियोजित योजना बनाई जाए, ताकि इन जल स्रोतों की उपयोगिता पुन: स्थापित की जा सके। बैठक में पर्यटन और पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

Published on:
30 May 2025 09:12 am
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