सांसद खेल महोत्सव में बोले अंतर्राष्ट्रीय तैराक, दिव्यांगता कमजोरी नहीं मेरी ताकत है, अपने पर विश्वास रखें
कटनी. सांसद खेल महोत्सव के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करने वाले पैरा ओलंपियन, एशिया रिकॉर्डधारी और पद्मश्री सम्मानित तैराक सत्येंद्र सिंह लोहिया कटनी पहुंचे। इस दौरान पत्रिका ने उनसे विशेष बातचीत की। साक्षात्कार में सत्येंद्र लोहिया ने बेहद बेबाकी से बताया कि किस तरह दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, संघर्ष किया और विश्व पटल पर अपनी अनोखी पहचान बनाई। सत्येंद्र लोहिया ने कहा दिव्यांग व्यक्ति खुद को कमजोर न समझें। हर व्यक्ति के भीतर एक अद्वितीय शक्ति होती है, बस उसे पहचानने की जरूरत है। यदि जज्बा है तो भारत का नाम जरूर रोशन होगा। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी बनना हो तो हर क्षण जीवंत रहना सीखना होगा। जो अपने आप पर विश्वास करता है, दुनिया उसी पर विश्वास करती है।
लोहिया ने कहा कि उन्होंने कभी खुद को असमर्थ नहीं माना। अगर आप अपनी कमजोरी को ताकत बना लें तो समाज, प्रदेश और देश—सबके लिए गौरव का कारण बन सकते हैं। उन्होंने बताया 2008 में मुझे तैरना भी नहीं आता था। 2009 में सांसद वीडी शर्मा के मार्गदर्शन में तैराकी सीखना शुरू किया। उसी सफर ने मुझे विश्व रिकॉर्ड और पद्मश्री तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि जैसे पौधे को पानी देने पर वह विशाल वृक्ष बनता है, वैसे ही अच्छा मार्गदर्शन व्यक्ति के जीवन को बदल देता है।
कटनी के बारे में उन्होंने कहा यहां के बच्चों में खेल के लिए अद्भुत ऊर्जा है। उन्हें सही मंच मिल रहा है। आने वाले समय में यहीं से कई खिलाड़ी पद्मश्री तक पहुंचेंगे। सांसद खेल महोत्सव को उन्होंने ऐतिहासिक बताया। 2017 में पैसे नहीं थे, फिर भी पासपोर्ट लेकर लंदन पहुंच गया अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा 2017 में आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि जेब में पैसे भी नहीं थे। लेकिन सपने बड़े थे, इसलिए लंदन के लिए पासपोर्ट लेकर निकल पड़ा। जीत नहीं पाया, लेकिन हार भी नहीं मानी। 2018 में 8 डिग्री तापमान में तैरकर एशिया रिकॉर्ड बनाया। यह इतिहास बना जिसने उन्हें दुनिया में विशेष पहचान दिलाई।
सत्येंद्र लोहिया ने कहा जिंदगी ऐसी जीना चाहिए जो दूसरों के लिए मिसाल बन जाए। दिव्यांग व्यक्ति चाहे तो भारत रत्न भी पा सकता है। बस सपने बड़े होने चाहिए। उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल 2023 को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जयंती पर उन्होंने कन्याकुमारी से 5 लाख 300 किमी की यात्रा कर दिव्यांगजनों को संदेश दिया कि हर किसी में टैलेंट है, बस उसे निखारने की जरूरत है। उन्होंने कटनी में भी दिव्यांगों के लिए नियमित खेल आयोजन शुरू करने का सुझाव दिया। खेल सबसे बड़ा इम्पावरमेंट है। इससे आत्मविश्वास, सम्मान और जीवन की दिशा दोनों मिलती है। अंत में सशक्त संदेश दिया कि दिव्यांग अपने आप को मन से दिव्यांग न मानें। कोई कमी आपको रोक नहीं सकती। अगर जज्बा है तो दुनिया में ऐसी जगह नहीं जहां आप नहीं पहुंच सकते।