Health News: लोग जो भोजन अपनी सेहत के लिए खाते हैं, वही उन्हें बीमार कर रहा है। दूध, मसाले, फल-सब्ज़ी समेत तमाम खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले बढ़ रहे हैं। एफएसडीए की रिपोर्ट में 3,111 नमूने पूरी तरह असुरक्षित मिले, जिनसे कैंसर, अल्सर और हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
Health Alert Update: उपभोक्ता जिस भोजन को स्वास्थ्यवर्धक मानकर अपनी थाली में परोस रहे हैं, वह असल में उन्हें गंभीर बीमारियों की ओर धकेल रहा है। दूध में यूरिया, मसालों में मिलाए जा रहे केमिकल, और फलों में चमक लाने के लिए लगाए जा रहे जहरीले पदार्थ अब लोगों की आंतों को चीर रहे हैं। चित्रकूट निवासी 22 वर्षीय दिनेश को लगातार दस्त और खून आने की समस्या ने अस्पताल पहुंचा दिया। शुरू में उन्होंने इसे बवासीर समझा, लेकिन जब लक्षण बिगड़े तो उन्हें केजीएमयू लखनऊ रेफर किया गया। जांच में सामने आया कि दिनेश 'इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज' (आईबीडी) से ग्रसित हैं।
आईबीडी एक गंभीर आंतों की बीमारी है, जिसमें पाचन तंत्र में सूजन और घाव बन जाते हैं। लखनऊ के केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान और अन्य मेडिकल कॉलेजों में ऐसे मामलों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। रोजाना डेढ़ हजार से ज्यादा मरीज पेट की गंभीर समस्याओं के साथ पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके पीछे एक बड़ा कारण मिलावटी खान पान है।
एफएसडीए (खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन) की ताज़ा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। अप्रैल 2024 से मई 2025 तक कुल 48,350 खाद्य पदार्थों के नमूने लिए गए। इनमें से 14,777 नमूने अधोमानक पाए गए, जबकि 3,111 नमूने पूरी तरह असुरक्षित घोषित किए गए। ये नमूने दूध, मसाले, मिठाइयां और फल-सब्जियों से संबंधित थे। इनमें यूरिया, कैल्शियम कार्बाइड, वाशिंग पाउडर, एथीफॉम, डाई, लेड ऑक्साइड और कॉपर सल्फेट जैसे ज़हरीले रसायन पाए गए। एफएसडीए की कार्रवाई में इन दोषी विक्रेताओं और निर्माताओं के खिलाफ 244 केस कोर्ट में गए और ₹40 लाख से अधिक का जुर्माना वसूला गया।
केजीएमयू की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनन्या गुप्ता बताती हैं कि इन मिलावटी रसायनों से शरीर में विषाक्तता बढ़ती है। इसका सीधा असर दिल, किडनी, आंतों, त्वचा और यहां तक कि भ्रूण पर भी हो सकता है। कैल्शियम कार्बाइड से पके फल कैंसर का कारण बन सकते हैं। वहीं थायाबेंडाजोल जैसे रसायन, जो फलों और सब्जियों को सड़ने से बचाने के लिए लगाए जाते हैं, शरीर को धीमा जहर देते हैं।
गैस्ट्रो विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा कहते हैं कि लगातार मिलावटी भोजन करने से आंतों में घाव (अल्सर) हो जाते हैं, जिससे धीरे-धीरे कैंसर जैसी बीमारियाँ जन्म लेती हैं।
डॉ. सुमित सलाह देते हैं, घर में किचन गार्डन बनाएं।बाजार से खरीदी गई सब्जी और फल को सोडा या नमक युक्त पानी में 30 मिनट भिगोकर रखें। सिर्फ सीजनल और ऑर्गेनिक उत्पादों का ही उपयोग करें। विश्वसनीय दुकानों से ही खाद्य पदार्थ खरीदें।प्रसंस्कृत खाद्य सामग्री से बचें।
संयुक्त आयुक्त हरिशंकर सिंह का कहना है कि मिलावट के विरुद्ध विभाग सतर्क है। अब हर मंडल में खाद्य नमूनों की जांच की सुविधा हो रही है। छह लैब पहले से कार्यरत हैं और जल्द ही चार नई लैब भी शुरू होंगी। इन लैब्स में अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं, जिससे विषैले रसायनों और धातुओं की पहचान जल्दी की जा सकेगी।
फूड जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार: मिलावटी खाद्य पदार्थों का निरंतर सेवन करने वालों को हृदय रोग, एलर्जी, डायरिया, डायबिटीज और यहां तक कि नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों की आशंका ज्यादा होती है।