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UP Latest Crime: लखनऊ में उभर रही गुड्डू मुस्लिम की ‘बमबाज पौध’, देशी बम से दहशत फैला रहे युवा, पुलिस मौन

UP Crime Gang Wars In Lucknow: लखनऊ में युवाओं के बीच देशी बम से दहशत फैलाने का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। प्रयागराज के कुख्यात गुड्डू मुस्लिम को आदर्श मानते हुए ये युवक मामूली विवादों में भी बमबाजी कर रहे हैं। पुलिस की निष्क्रियता से ये खतरनाक प्रवृत्ति तेजी से जड़ें जमा रही है।

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May 30, 2025
फोटो सोर्स: Patrika

UP Crime Guddu Muslim Effect: राजधानी लखनऊ में अपराध का एक नया और खतरनाक चेहरा सामने आ रहा है, जिसमें युवा गुड्डू मुस्लिम जैसे कुख्यात अपराधियों को अपना आदर्श मानकर देशी बमों का उपयोग कर दहशत फैलाने में जुटे हैं। वर्चस्व की लड़ाई और दबदबा कायम करने की होड़ ने अब परंपरागत हथियारों को पीछे छोड़ देशी बम जैसे घातक विकल्पों को आगे कर दिया है। यह ट्रेंड न केवल समाज के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है, बल्कि पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है।

गुड्डू मुस्लिम की ‘प्रेरणा’ से पनपते नए बमबाज

प्रयागराज के कुख्यात अपराधी गुड्डू मुस्लिम की छवि अब लखनऊ के अपराधी युवाओं में "आइकॉन" बनती जा रही है। गुड्डू मुस्लिम, जिसे "बमबाज" के रूप में जाना जाता है, उस पर संगीन मामलों में कई आरोप हैं। उसकी कार्यशैली की नकल करते हुए अब राजधानी के कई युवा भी मामूली विवादों में देशी बमों का सहारा ले रहे हैं।

ये घटनाएं महज छिटपुट मामले नहीं हैं, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में राजधानी लखनऊ में बम बाजी की वारदातों में निरंतर वृद्धि देखी गई है। जानकारों का मानना है कि इन बमबाजों को न सिर्फ संगठित आपराधिक गिरोहों का समर्थन है, बल्कि विस्फोटक सामग्री की आपूर्ति भी एक संगठित नेटवर्क के तहत हो रही है।

घटनाओं की श्रृंखला जो बताती है बढ़ते खतरे की कहानी

1.1 मई 2024 – बीकेटी, अस्ती गांव
नमाज़ अदा कर लौट रहे सूफियान पर गांव के ही युवकों से विवाद हो गया। आरोपियों ने सूफियान के घर पर देशी बम फेंककर दहशत फैलाई। पुलिस ने पटाखा बताकर मामला शांत किया।

2.7 मई 2024 – बीकेटी
कमल सिंह, जो दोस्त की बर्थडे पार्टी से लौट रहे थे, वर्चस्व के मुद्दे पर युवकों ने उनकी पिटाई कर देशी बम से हमला कर दिया।

3.6 जून 2024 – इन्दिरानगर, वैशाली पार्क
दिव्यांश नाम का युवक बम बनाते समय हुए धमाके में घायल हो गया। यह हादसा बम तैयार करने की बढ़ती प्रवृत्ति की पुष्टि करता है।

4.10 जून 2024 – चिनहट, मल्हौर
एसएस रेजीमेंट गारमेंट के मालिक मोनिस पर बम से हमला किया गया। आपसी विवाद के चलते यह हमला हुआ।

5. 15 सितंबर 2024 – कृष्णानगर
रिटायर्ड फौजी और विधानसभा में सिक्योरिटी गार्ड मनोज मिश्रा के घर पर पेट्रोल बम और फायरिंग से हमला हुआ।

6. 29 सितंबर 2024 – चिनहट
छात्र रुद्राक्ष शुक्ला पर देशी बम से हमला किया गया। मामूली विवाद ने गंभीर रूप ले लिया।

7.सितंबर 2024 – समेरा गांव, चिनहट
दीपक तिवारी के घर पर देशी बम से हमला हुआ। घटना का मकसद दहशत फैलाना बताया गया।

8.6 नवंबर 2024 – बिजनौर
एक युवक को लहसुन बम से निशाना बनाया गया। पहले उसे पटाखों का थैला पकड़ाया गया और फिर हमला किया गया।

9. 3 दिसंबर 2024 – डालीगंज
रामाधीन इंटर कॉलेज में भाजपा महानगर उपाध्यक्ष की भतीजी की शादी के दौरान लविवि के छात्रों ने बम से हमला किया।

10.27 मार्च 2024 – मड़ियांव
पीपा पुल से पुलिस ने हर्षित द्विवेदी, शुभम सोनी और रेहान को देशी बमों के साथ गिरफ्तार किया।

11.13 मई 2025 – चिनहट, मटियारी
कंचन पुरी राधा कॉलोनी में बम फेंककर विवाद खड़ा किया गया।

पुलिस की भूमिका पर सवाल

वरिष्ठ क्राइम के जानकार दीपक सिंह ने कहा कि इन घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए सवाल उठता है कि पुलिस और खुफिया तंत्र क्या कर रहे हैं? अधिकतर मामलों में पुलिस या तो मामूली धाराओं में कार्रवाई करती है, या फिर घटनाओं को पटाखा बताकर सिरे से खारिज कर देती है। बीकेटी थाने के इंस्पेक्टर संजय कुमार सिंह ने भी बम हमले को पटाखा बताया और सिर्फ शांति भंग की कार्रवाई की बात कही। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस अपराधियों को बचाने का प्रयास कर रही है, या फिर खौफ के इस बढ़ते खेल को समझने में विफल है?

बमों की सामग्री कहां से आ रही

उन्होंने कहा कि देशी बम बनाने के लिए जिन रसायनों की जरूरत होती है, जैसे पोटाश, गंधक और मेसर उनकी आपूर्ति कौन कर रहा है? किस नेटवर्क के जरिए ये सामान राजधानी के युवाओं तक पहुंच रहा है, इस पर ना तो पुलिस गंभीरता दिखा रही है और ना ही खुफिया तंत्र। कई बार चिनहट, मड़ियांव जैसी जगहों पर बम बाजों की गिरफ्तारी हुई, परंतु सप्लाई चैन को लेकर कोई ठोस खुलासा नहीं हो सका।

समाज के लिए बड़ा खतरा

बम बाजी की घटनाएं अब केवल आपसी रंजिश तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि ये समाज में डर का माहौल बनाने का साधन बन चुकी हैं। गुड्डू मुस्लिम जैसे अपराधियों के नाम से प्रेरित होकर युवा ‘हीरोइज्म’ की गलत परिभाषा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। अगर समय रहते इन पर लगाम नहीं लगी, तो ये ‘पौध’ बहुत जल्द ‘दरख्त’ बन जाएगी, जिसे काटना आसान नहीं होगा।

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