कानून के जानकारों का कहना है कि केवल मैसेज भेजने के आधार पर, बिना किसी गलत इरादे के, इस तरह का गंभीर धारा में मामला दर्ज करना पुलिस की जल्दबाजी और लापरवाही को दिखाता है।
मुंबई में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 15 साल की एक स्कूल छात्रा द्वारा अपनी क्लास की छात्रा को भेजे गए “मिस यू” और “लव यू” मैसेज की वजह से कांदिवली पुलिस ने पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया था। अब इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई है और कहा कि इस मामले में पॉक्सो लागू ही नहीं होता है।
कांदिवली पुलिस ने जिस छात्रा के खिलाफ मामला दर्ज किया था, उसके पिता ने केस को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अखंड की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जताते हुए कहा कि पुलिस को पॉक्सो जैसी सख्त धारा लगाने से पहले गहराई से विचार करना चाहिए। अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि पुलिस बिना पॉक्सो कानून के प्रभावों पर विचार किए ही ऐसे मामलों में अपराध दर्ज कर लेती है।
दरअसल, मुंबई के कांदिवली इलाके में रहें वाली एक 15 वर्षीय छात्रा को अनजान नंबर से “आई लव यू” और “आई मिस यू” जैसे मैसेज मिलने पर उसके माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने शिकायत के आधार पर 10 जुलाई को अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ पॉक्सो और आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। बाद में जांच में खुलासा हुआ कि ये मैसेज उसी लड़की की क्लासमेट ने मजाक में भेजा था और इसके पीछे उसकी कोई आपराधिक मंशा नहीं थी।
सरकारी वकील एस. सी. गावंड ने बताया कि एफआईआर पहले अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई थी। ऐसे मामलों में आरोपी की मंशा अहम होती है। हालांकि, अब जांच में सामने आया कि मैसेज भेजने वाली भी नाबालिग लड़की है, तो अदालत ने पुलिस के कदम पर सवाल उठाया।
बताया जा रहा है कि पुलिस इस केस को बंद करने की सिफारिश कर सकती है क्योंकि जांच में स्पष्ट हो गया है कि यह मैसेज एक 15 वर्षीय लड़की ने ही भेजे थे।
मामले में आरोपी नाबालिग छात्रा के पिता ने अदालत में याचिका दायर की है कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल न की जाए। आरोपी और पीड़िता दोनों 15 वर्ष की हैं और फिलहाल अपनी बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी में जुटी हैं। अगले हफ्ते इस एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है।