Bomb Threat in Delhi School: दिल्ली के 6 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिलने से हड़कंप मच गया।
Bomb Threat: राजधानी दिल्ली में एक बार फिर स्कूलों को निशाना बनाते हुए बम धमकी की खबर सामने आई है। दिल्ली के 6 स्कूलों को ई-मेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली, जिसके बाद स्कूल प्रशासन, दिल्ली पुलिस, और अन्य सुरक्षा एजेंसियां तुरंत हरकत में आ गईं। इस घटना ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, धमकी भरे ई-मेल में दावा किया गया कि स्कूल परिसर में विस्फोटक उपकरण छिपाए गए हैं। ई-मेल में विस्फोटकों को बैकपैक में रखे जाने की बात कही गई और चेतावनी दी गई कि अगर मांगें पूरी नहीं की गईं तो विस्फोट कर दिया जाएगा। हालांकि, अभी तक की जांच में किसी भी स्कूल में कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है, और पुलिस ने इसे प्रारंभिक तौर पर फर्जी (होक्स) धमकी करार दिया है।
धमकी मिलने के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस, बम निरोधक दस्ते, डॉग स्क्वायड, और दिल्ली फायर सर्विस की टीमें प्रभावित स्कूलों में पहुंचीं। स्कूलों को खाली करा लिया गया, और छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि साइबर क्राइम यूनिट ई-मेल के स्रोत और प्रेषक की पहचान करने में जुटी है। पुलिस ने अभिभावकों से शांत रहने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।
हाल के दिनों में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कक्षा 6 से 9 और 11 के लिए हाइब्रिड मोड (ऑनलाइन और ऑफलाइन) लागू किया गया है। हालांकि, कक्षा 10 और 12 के छात्रों को व्यक्तिगत रूप से स्कूल में उपस्थित होना अनिवार्य है। इस बीच, धमकी के कारण कई स्कूलों ने आमतौर पर कक्षाएं स्थगित कर दी हैं।
यह इस सप्ताह दिल्ली में स्कूलों को मिली दूसरी धमकी है। इससे पहले 18 अगस्त को 32 स्कूलों और 20 अगस्त को 50 से अधिक स्कूलों को इसी तरह की धमकियां मिली थीं, जो बाद में फर्जी साबित हुई थीं। पुलिस के अनुसार, इन धमकियों में एक समूह 'Terrorizers 111' का नाम सामने आया है, जिसने क्रिप्टोकरेंसी में रकम की मांग की थी। दिल्ली पुलिस ने इन मामलों में FIR दर्ज की है और जांच जारी है।
दिल्ली पुलिस और साइबर क्राइम यूनिट धमकी भरे ई-मेल के IP पते और प्रेषक की पहचान करने में जुटी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये धमकियां डार्क वेब या एन्क्रिप्टेड नेटवर्क के जरिए भेजी जा रही हैं, जिससे जांच में चुनौतियां आ रही हैं।