असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनने वाली पहली पानी के भीतर सड़क सुरंग की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। यह सुरंग नुमालीगढ़ और गोहपुर के बीच 33.7 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें 15.6 किलोमीटर सुरंग और 18 किलोमीटर सड़क शामिल है। अनुमानित लागत लगभग 6,000 करोड़ रुपये है।
आने वाले वर्षों में भारत अपनी पहली पानी के भीतर सड़क सुरंग बनाने जा रहा है। यह सुरंग असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनाई जाएगी।
इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो चुकी है और अब इसे मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।
यह सुरंग असम के नुमालीगढ़ और गोहपुर के बीच बनाई जाएगी। परियोजना की कुल लंबाई लगभग 33.7 किलोमीटर होगी, जिसमें सुरंग और उससे जुड़ी सड़क दोनों शामिल हैं। इस महत्वाकांक्षी योजना पर लगभग 6,000 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है।
सुरंग को ब्रह्मपुत्र नदी के सबसे निचले स्तर से करीब 32 मीटर नीचे बनाया जाएगा। यानी यह नदी के गहरे हिस्से में होगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि तकनीकी दृष्टि से यह प्रोजेक्ट काफी चुनौतीपूर्ण है। रिपोर्ट के अनुसार, सुरंग बनने में करीब पांच साल का समय लगेगा।
इस सुरंग का महत्व सिर्फ यातायात तक सीमित नहीं है। चूंकि यह क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश के करीब है, जो चीन से सटा हुआ है इसलिए इसका रणनीतिक और सुरक्षा के लिहाज से भी खास महत्व है।
सेना और वाहनों की तेज आवाजाही के लिए यह सुरंग मददगार साबित होगी। इस योजना को नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ की स्थायी समिति से मंजूरी मिल चुकी है। समिति ने यह भी कहा है कि इसके असर का वैज्ञानिक आकलन जरूरी है।
बता दें कि कुछ महीने पहले यह खबर सामने आई थी कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा और महंगा बांध बना रहा है, जिसकी लागत लगभग 137 अरब डॉलर है।
यह बांध तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर बनाया जा रहा है, जो भारत में ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जानी जाती है। इस परियोजना से चीन को हर साल 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली मिलने की उम्मीद है, जो उसके वर्तमान में सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस बांध से तीन गुना अधिक है।
भारत ने इस परियोजना पर चिंता जताई है, क्योंकि इससे ब्रह्मपुत्र नदी के निचले राज्यों में पानी की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
इसके अलावा, बांध के कारण बाढ़ और सूखे की स्थिति भी पैदा हो सकती है। भारत ने चीन से इस परियोजना के बारे में पूरी जानकारी देने और निचले राज्यों के हितों का ध्यान रखने का आग्रह किया था।