देश में फिलहाल करीब 40 वीवीआइपी को जेड प्लस सुरक्षा मिली है, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शामिल हैं।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर बुधवार को जनसुनवाई के दौरान हुए हमले के बाद उनकी सुरक्षा व्यवस्था बदल दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से सुरक्षा का जिम्मा लेकर इसे सीआरपीएफ के वीआईपी सिक्योरिटी ग्रुप (वीएसजी) को सौंपा है। अब उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। यह वही ग्रुप है जो गृह मंत्री अमित शाह और गांधी परिवार जैसे वीआईपी को कवर करता है। आरोपी राजेश खिमजी को पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया। उसे देर रात द्वारका में मजिस्ट्रेट के घर पेश किया गया।
एसपीजी सर्वोच्च सुरक्षा है, जो केवल प्रधानमंत्री व उनके परिवार को दी जाती है। 1988 में गठित इस यूनिट में 24 प्रशिक्षित कमांडो, हाई-टेक हथियार, 12 बुलेटप्रूफ वाहन, एंबुलेंस और जैमर वाहन शामिल हैं। इसका खर्च करीब 1 करोड़ 15 लाख प्रतिदिन है।
यह श्रेणी दूसरे नंबर पर है। इसमें 55 कर्मी और 25–30 लाख मासिक खर्च होता है। जेड श्रेणी में 22–25 जवान, 4–6 एनएसजी कमांडो, पीएसओ, सर्विलांस स्टाफ, आर्म्ड गार्ड और एस्कॉर्ट गाड़ियां होती हैं। यह देश की तीसरी सबसे कड़ी सुरक्षा है। खर्च लगभग 15–20 लाख रुपये मासिक आता है।
वाय प्लस में 11 कर्मी, 2–4 कमांडो और करीब 15 लाख खर्च। वाय श्रेणी में 8 पुलिसकर्मी, 1–2 कमांडो और लगभग 12 लाख खर्च। एक्स श्रेणी में केवल 2 सशस्त्र पुलिसकर्मी होते हैं।
भारत में वीआईपी सुरक्षा गृह मंत्रालय की येलो बुक और ब्लू बुक पर आधारित है। आईबी और मंत्रालय की कमेटी खतरे का आकलन करती है। राज्यों के सीएम या मंत्रियों को मिलने वाली सुरक्षा का खर्च राज्य सरकार वहन करती है।
वीआईपी सुरक्षा श्रेणियां 1990 के दशक में शुरू हुईं, पृष्ठभूमि इंदिरा गांधी की हत्या और आतंकवाद से जुड़ी है। वर्तमान में करीब 40 वीवीआईपी जेड प्लस सुरक्षा में हैं, जिनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शामिल हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद जेड सुरक्षा दी गई। अमेरिका में सीक्रेट सर्विस राष्ट्रपति व पूर्व राष्ट्रपतियों, ब्रिटेन में एमआई 5 और रूस में फेडरल प्रोटेक्शन सर्विस शीर्ष नेताओं को सुरक्षा देती है।