दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) पीजी के स्कोर को सार्वजनिक रोजगार के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि उच्च शिक्षा में दाखिले की योग्यता तय करने के मानक और सार्वजनिक […]
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) पीजी के स्कोर को सार्वजनिक रोजगार के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि उच्च शिक्षा में दाखिले की योग्यता तय करने के मानक और सार्वजनिक रोजगार के लिए उपयुक्तता तय करने के मानक एक समान नहीं हो सकते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भले ही क्लैट पीजी का पाठ्यक्रम कई विधिक विषयों को कवर करता है, लेकिन इसे नौकरी में भर्ती का आधार बनाना न्यायोचित नहीं है। यह फैसला उस जनहित याचिका पर आया जिसमें एनएचएआई की 11 अगस्त की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।
पीठ ने कहा कि एनएचएआइ का यह तर्क स्वीकार्य नहीं है कि अन्य संस्थान या पीएसयू क्लैट पीजी स्कोर पर भर्ती कर रहे हैं। अदालत ने माना कि क्लैट पीजी एक राष्ट्रीय परीक्षा है, लेकिन इसका मकसद स्नातकोत्तर प्रवेश है, न कि सार्वजनिक रोजगार। भर्ती मानदंड संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।