मौजूदा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं आबादी की तुलना में काफी कम हैं। राज्य सरकार को इस दिशा में ज्यादा प्रावधान करना चाहिए। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में तेजी से विस्तार की दरकार है। आबादी के अनुपात में यह बहुत जरूरी भी है, क्योंकि महंगे इलाज का खर्च वहन करने की क्षमता आम लोगों में उतनी नहीं […]
मौजूदा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं आबादी की तुलना में काफी कम हैं। राज्य सरकार को इस दिशा में ज्यादा प्रावधान करना चाहिए।
प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में तेजी से विस्तार की दरकार है। आबादी के अनुपात में यह बहुत जरूरी भी है, क्योंकि महंगे इलाज का खर्च वहन करने की क्षमता आम लोगों में उतनी नहीं होती है। केंद्र स्तर की स्वास्थ्य संबंधी घोषणाएं मंझोले और छोटे शहरों के साथ कस्बों में कम ही पहुंच पाती हैं। इसलिए राज्य सरकार को हेल्थ सेक्टर पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए राज्य के बजट में हेल्थ से संबंधित अधिक से अधिक प्रावधान किए जाने चाहिए। उधर, इंदौर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की मांग जोर पकड़ रही है। प्रदेश के सबसे अधिक आबादी वाले इस शहर के लिए यह मांग उचित भी है। इंदौर में एम्स हो गया तो मालवा-निमाड़ क्षेत्र के 15 जिलों की बड़ी आबादी को फायदा होगा। इसमें सेहत से जुड़ी क्षेत्रीय परेशानियों पर रिसर्च के साथ गंभीर बीमारियों में मरीजों को जीवनदान भी मिल सकेगा। यहां की मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं पर नजर दौड़ाएं तो जरूरतमंदों को अभी एमवायएच और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इसके अलावा जिला अस्पताल सहित विभाग के संचालित लगभग 15 अस्पतालों के नवीनीकरण और चिकित्सा व्यवस्था बढ़ाने के नाम पर करोड़ों खर्च करने का दावा किया गया, लेकिन सुविधाएं अब भी दूर की कौड़ी बनी हुई हैं। एमवायएच में हर महीने 90 हजार से एक लाख तक मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। 11 सौ बिस्तरों के अस्पताल में इसी अवधि में 15 हजार से अधिक मरीज भर्ती किए जाते हैं। स्पष्ट है कि सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव बहुत अधिक है। मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर भी सुविधाओं का विस्तार बहुत जरूरी हो गया है। यह बात सबके स्मरण में हैं कि कोराना के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में अस्थायी तौर बड़ा ढांचा खड़ा गया था। आम लोगों की मांग और कोर्ट के दबाव में जिम्मेदारों ने स्थानीय तौर पर भी बड़े सुधार और उन्हें बढ़ाने का संकल्प लिया था, लेकिन उसे अमल में नहीं लाया जा सका। आबादी और भौगोलिक दृष्टि से भी एम्स जैसे संस्थान इंदौर और आसपास के जिलों के लिए संजीवनी साबित होंगे। अत: इस पर विभाग और राज्य शासन को गंभीरता से विचार करके प्रस्ताव तैयार करना चाहिए। जितनी जल्दी इस पर स्वीकृति ली जाएगी, उतनी ही ज्यादा जीवनदान की उम्मीदों को बल भी मिलेगा।
-गोविंद ठाकरे
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