पढऩे की आदत को लेकर पत्रिका ने एक रैंडम सैंपल सर्वे किया, जिसमें पाठकों से उनकी व्यक्तिगत कहानियां साझा करने को कहा गया। जिसमें बड़ी संख्या में पाठकों की प्रतिक्रियाएं मिलीं। इसमें से कुछ चुनिंदा लोगों की प्रतिक्रिया को ले रहे हैं...
पढ़ने की आदत को लेकर पत्रिका ने एक रैंडम सैंपल सर्वे किया, जिसमें पाठकों से उनकी व्यक्तिगत कहानियां साझा करने को कहा गया। जिसमें बड़ी संख्या में पाठकों की प्रतिक्रियाएं मिलीं। इसमें से कुछ चुनिंदा लोगों की प्रतिक्रिया को ले रहे हैं…
पढ़ने की आदत ने भाषा, ज्ञानकोष और अभिव्यक्ति में आत्मविश्वास के साथ वर्तनी, व्याकरण व लेखन शैली को निखारा है। इसी आदत के चलते राजकीय सेवा में कई पुरस्कार मिले और आज भी स्मरण शक्ति पूर्ववत बनी हुई है।
-बिपिन चंद्र जोशी , रिटायर्ड
मैं पत्रिका को सिर्फ समाचारों के लिए नहीं, बल्कि अपनी पढ़ने की आदत को जीवित रखने के लिए भी प्रतिदिन एक घंटे से अधिक समय तक पढ़ता हूँ। इसमें विशेष रूप से नई तकनीक और कृषि संबंधी सामग्री मेरी सबसे बड़ी रुचि का विषय होती है। - दीपक कुमार मीना
पढ़ने से मस्तिष्क स्वस्थ रहता है, तनाव घटता है, स्मरण शक्ति और शब्दावली समृद्ध होती है तथा सोचने-समझने की क्षमता का व्यापक विकास होता है। पढ़ाई एकाग्रता, समस्या-समाधान और अभिव्यक्ति के कौशल को निखारकर जीवन व कॅरियर में सफलता के अवसर बढ़ाती है।
- अनिल शर्मा ,स्टूडेंट
अख़बार पढ़ने की आदत व्यक्ति को जानकार, संवेदनशील और विचारशील बनाती है, साथ ही राजनीति से लेकर संस्कृति तक संतुलित जानकारी प्रदान करती है। राजस्थान से दूर रहकर भी पत्रिका अख़बार अपनों और अपनी मिट्टी से गहरा जुड़ाव बनाए रखने का सशक्त माध्यम है।
-विशाल जैन, स्टूडेंट
बचपन से पढ़ने की आदत ने मुझे धार्मिक ग्रंथों से लेकर राजस्थान पत्रिका तक का निरंतर पाठक बनाया, जिसके संपादकीय में कुलिश और कोठारी के लेख विशेष प्रिय रहे। इसी प्रेरणा से लेखन की लालसा जागी और मेरी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर मन को आनंदित करती रही हैं।
- सत्यनारयण शर्मा (सत्य ), नौकरीपेशा
शिक्षक पिता की प्रेरणा से बचपन से ही पत्रिका पढ़ने की आदत ने मेरे सामान्य ज्ञान, तर्कशक्ति और विचार क्षमता को सशक्त बनाया, जिसका प्रभाव पढ़ाई और व्यक्तित्व पर स्पष्ट रहा। इसी नियमित अध्ययन ने मुझे हिंदी व्याख्याता से लेकर वर्तमान में प्रधानाचार्य के दायित्व तक पहुँचने में आत्मविश्वास और अनुशासन की अमूल्य शक्ति प्रदान की।
-रेखा यादव, नौकरीपेशा
इच्छापूर्ण अधिगम केवल ज्ञानार्जन की प्रक्रिया नहीं, बल्कि जीवन को अनुशासन और जागरूकता से दिशा देने की कला है। यह न केवल हमें बेहतर पेशेवर बनाता है, बल्कि हमारे विचारों और निर्णयों को संवारकर हमें एक बेहतर इंसान भी गढ़ता है।
- ललित राय सोनी ,नौकरीपेशा
बचपन से शुरू हुई राजस्थान पत्रिका पढ़ने की आदत ने न केवल मेरे ज्ञान, भाषा और व्यक्तित्व को निखारा बल्कि मुझे लेखन के लिए प्रेरित कर प्रसिद्धि दिलाई।राष्ट्रीय समाचारों से लेकर परिवार परिशिष्ट तक, पत्रिका मेरे जीवन और दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है, जिसके लिए मैं हृदय से आभारी हूँ।
- धर्मेंद्र मूलवानी ,प्रोफेशनल
पत्रिका के नियमित अध्ययन से सकारात्मक सोच, ज्ञान, प्रेरणा और आत्मविश्वास में निरंतर वृद्धि हुई है। इसके प्रत्येक परिशिष्ट से मिली ज्ञानवर्धक जानकारियाँ जीवन के हर पहलू को समृद्ध बनाती हैं।
-प्रकाश भगत, प्रोफेशनल
गुलाब जी के लेख जीवन के अनेक प्रश्नों के उत्तर तो देते ही हैं और यदि सीधे उत्तर न भी मिलें तो कोई न कोई मार्ग अवश्य दिखा जाते हैं। साथ ही इनके माध्यम से देश-दुनिया की महत्वपूर्ण खबरें और सारगर्भित दृष्टिकोण भी प्राप्त होता है।
-एकांतप्रिय, प्रोफेशनल
बचपन में दादा की प्रेरणा से राजस्थान पत्रिका पढ़ने की आदत लगी, जिसकी सहज भाषा ने न सिर्फ मुझे समाचारों से जोड़ा बल्कि अध्ययन की निरंतर प्रवृत्ति भी विकसित की।आज यही आदत मुझे साहित्य, दर्शन और विचारों को समझने की दृष्टि देती है—इस जीवन परिवर्तन के लिए मैं पत्रिका का आभारी हूँ।
अजित सिंघवी, नौकरीपेशा
पत्रिका में प्रकाशित समाचारों और लेखों से निष्पक्ष व तर्कसंगत सोच का विकास होता है, जो अध्यापन कार्य को और प्रभावी बनाने में सहायक है। साथ ही सरकारी नीतियों व योजनाओं की जानकारी मिलकर जनता को जागरूक करने और समाज में सम्यक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलती है।
-डॉ बाबूलाल तसेरा ,नौकरीपेशा