2016 में 7वें वेतन आयोग ने 125% डीए को बेस बनाकर 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया था।
महंगाई का लगातार बढ़ना और उसके हिसाब से सैलरी में ग्रोथ न होना, घर का बजट बिगाड़ सकता है। इस संकट से उबारने के लिए सरकार कर्मचारियों को ऐसा अलाउंस देती है, जिससे आर्थिक तौर पर मजबूती मिले। इस अलाउंस को महंगाई भत्ता कहते हैं और इसे साल में 2 बार बढ़ाया जाता है। यहां महंगाई भत्ते का जिक्र करने के मायने इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि जनवरी 2026 से नया वेतन आयोग लागू होने की संभावना है। यह 8वां वेतन आयोग होगा। अब सवाल उठता है कि महंगाई भत्ते का वेतन आयोग से क्या लेना-देना?
जानकारों के मुताबिक सैलरी में महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) को एक सुरक्षा कवच माना जाता है। हाल में जुलाई 2025 के लिए जारी ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI) के आंकड़े इस कवच को और मजबूत करने वाले साबित हुए हैं। इंडेक्स 1.5 अंकों की छलांग लगाकर 146.5 पर पहुंच गया है। यह सिर्फ अगले डीए की दर तय करने में अहम नहीं होगा बल्कि 8वें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फैक्टर तय करने का भी आधार बनेगा। ठीक वैसे ही जैसे 2016 में 7वें वेतन आयोग ने 125% डीए को बेस बनाकर 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया था, वैसे ही मौजूदा आंकड़े 2026 में कर्मचारियों की नई तनख्वाह के फार्मूले का हिस्सा बनने वाले हैं। ऑल इंडिया अकाउंट्स कमेटी के महासचिव एचएस तिवारी बताते हैं कि AICPI-IW के ताजा आंकड़े केंद्रीय कर्मचारियों का उत्साह बढ़ाने वाले हैं क्योंकि 8वें वेतन आयोग में बेसिक पे और फिटमेंट फैक्टर का कैलकुलेशन करने पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
AICPI-IW डेटा का इस्तेमाल वर्तमान में महंगाई भत्ता और महंगाई राहत तय करने के लिए किया जाता है। ये दोनों ही बेनेफिट क्रमशः केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दिए जाते हैं। महंगाई भत्ता कर्मचारियों की सैलरी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिससे महंगाई के दबाव को संतुलित किया जाता है। तिवारी बताते हैं कि जब भी नया वेतन आयोग लागू होता है, उस समय लागू DA दरें बेसिक पे और फिटमेंट फैक्टर तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं। जितना अधिक AICPI-IW इंडेक्स होगा, उतना ही अधिक DA मिलेगा और उसी अनुपात में बेसिक पे भी बढ़ने की संभावना रहती है।
तिवारी के मुताबिक 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर गौर करें तो आयोग ने साफ कहा था कि 1 जनवरी 2016 को कर्मचारियों की मौजूदा बेसिक पे और DA को मिलाकर 2.57 फिटमेंट फैक्टर तय किया गया। इसमें से 2.25 का हिस्सा बेसिक पे और 125 प्रतिशत DA को मिलाकर बना था, जबकि बाकी 0.32 वास्तविक वेतन में बढ़ोतरी हुई थी। इस प्रकार कुल बढ़ोतरी लगभग 14.2 प्रतिशत रही। लेबर ब्यूरो के मुताबिक जुलाई 2025 में AICPI-IW इंडेक्स 1.5 अंक बढ़कर 146.5 पर पहुंच गया है। यही डेटा जनवरी 2026 से लागू होने वाले नए DA को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। यही DA दर आगे 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों में फिटमेंट फैक्टर और बेसिक पे तय करने का आधार बनेगी।
तिवारी ने बताया कि हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि 8वें वेतन आयोग के लागू होते ही DA दरें शून्य होकर रीसेट हो जाती हैं। इसके बावजूद आयोग जब नया न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फैक्टर तय करेगा तो मौजूदा DA आंकड़ों को आधार बनाना तय है। फिलहाल, सरकार ने अब तक 8वें वेतन आयोग की शर्तें (Terms of Reference) और इसके अध्यक्ष की नियुक्ति की घोषणा नहीं की है। इस देरी की वजह से आयोग की अंतिम रिपोर्ट और सिफारिशें आने में समय लग सकता है।