Fire Fighting Robot: आवश्यकता को आविष्कार की जननी माना जाता है। दरअसल, इस वाक्य में वैज्ञानिक सोच समाई हुई है। ऐसे ही कुछ आविष्कार देखने को मिले रायपुर के एक स्कूल..
Fire Fighting Robot: ताबीर हुसैन. राजधानी के सेजबहार स्थित शारडा स्कूल में। यहां जिले के कई स्कूलों के बच्चों ने अपनी प्रतिभा दिखाई और साइंस मॉडल बनाए। उनके मॉडल न सिर्फ डेली लाइफ को आसान करने वाले थे बल्कि खेती-किसानी, इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर साइंस से भी जुड़े हुए थे। निर्णायकों ने चार मॉडल को विजेता घोषित किया है जो नेशनल के लिए बेंगलूरु जाएंगे। हमने विजेता प्रतिभागियों के अलावा उन छात्रों के प्रोजेक्ट को भी जाना जिनके प्रयास को सराहा जा सकता है। कार्यक्रम में अतिथियों ने विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया।
ब्राइटर्न स्कूल की छात्राएं सान्वी श्रीवास्तव और मेघा साहू ने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जिसके जरिए दृष्टिहीन को दिशा मिल सकती है। इस टॉकिंग गाइड को दृष्टिबाधित स्कूल प्रेरणा में प्रयोग किया जा चुका है। छात्राओं ने बताया, हम एक विजिट में प्रेरणा स्कूल गए थे। वहां हमने दृष्टिबाधित बच्चों की दिनचर्या देखी।
तभी ख्याल आया कि इनके लिए कुछ इनोवेशन करना चाहिए। टॉकिंग गाइड आपको एक निश्चित डिस्टेंस के अंतर्गत बताएगी कि कहां रुकना है और कहां मुडऩा है। इसमें आप अपने परिवार के किसी सदस्य की आवाज का उपयोग कर सकते हैं। इसे बनाने में छात्राओं ने 900 रुपए खर्च किए हैं। आगे इसे वायरलेस बनाने का प्लान है साथ ही जो लोग दृष्टिहीन के साथ बहरे हैं उनके लिए वाइबे्रशन को एड किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल दसवीं के तारेश बोवाड़े ने फायर फाइटिंग रोबोट बनाया। यह मैनुअल और ऑटोमेटिक दोनों तरीके से आग बुझा सकता है। इस रोबोट में कैमरा भी लगाया गया है जिससे आग वाली जगह का नजारा देखा जा सके। इस रोबोट में फायर प्रूफ प्रोडक्ट का यूज किया गया है। इसे मानव रहित भेजा जा सकेगा।
तारेश ने बताया कि इसे बनाने में 2400 रुपए खर्च हुआ है। इसमें ऑर्डिनो, सेंसर, ट्रॉन्समीशन-रिसीवर, रिले मॉड्यूल, सर्वो मोटर, बैटरी, गेयर मोटर, बजर, वाटर पम्प यूज किए गए हैं। इनका यह मॉडल 7 इंटर स्कूल कॉम्पीटिशन जीत चुका है।