रायपुर

CG News: ‘छुपन छुपाई’ खेलना है जरूरी, एक्सपर्ट ने पैरेंट्स को चेताया, बच्चों के लिए कही ये बात

CG News: आजकल के बच्चों का ज्यादा समय मोबाइल पर ही बीत रहा है। हालत ऐसे हैं कि 2 साल तक के बच्चे भी मोबाइल एडिक्शन के शिकार हो रहे हैं। इस पर एक्सपर्ट ने क्या कहा, जानिए..

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Aug 31, 2024

CG News: जिस तरह से बच्चे मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं, आने वाले समय में यह और भी बढ़ता जाएगा जिससे उन्हें साइकोलॉजिकल समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। आज अगर हम दिशा नहीं बदलेंगे तो बहुत गंभीर समस्या हो सकती है। यह कहा शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय पी. माखीजा ने। वे राजधानी के एक होटल में आयोजित सीजेड सीजी ( CG News ) पिडिकॉन में बतौर वक्ता शामिल हुए।

CG News: माता-पिता बच्चे को अधिक समय दें..

CG News: तीन दिन चलने वाले इस प्रोग्राम में देशभर से लगभग 400 पिडियाट्रिक्स शामिल होंगे। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा कि आजकल मोबाइल सबसे बड़ा खिलौना हो गया है। इससे बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है माता-पिता बच्चे को अधिक से अधिक समय दें। जब तक हम बच्चों को ध्यान मोबाइल से नहीं हटाएंगे तब तक वह मोबाइल से जुड़ा रहेगा। पुरानी चीजों में फिर से जाना होगा। बच्चों के साथ छुपन छुपाई खेलना होगा। मैदान में खेल खेलना होगा। कहानियां सुनानी होंगी।

फर्स्ट गोल्डन मिनट में दूर कर सकेंगे बच्चे की सांस की तकलीफ

पहले दिन एक वर्कशॉप रखी गई जिसमें न्यू बोर्न बेबी के लिए एडवांस्ड एनआरपी (नियोनेटल रेस्पिरेटरी प्रोग्राम) के बारे में बताया गया। इसमें नवजात बच्चों में जन्म के तुरंत बाद होने वाली सांस में तकलीफ को दूर करने की ट्रेनिंग दी गई। ( CG News ) इस प्रोग्राम का उद्देश्य शिशु रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करना है, ताकि वे फर्स्ट गोल्डन मिनट में नवजात बच्चे को सांस की तकलीफ दूर करने में मदद कर सकें।

CG News: मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रांकुर पांडे ने बताया कि ट्रेनिंग में पॉइंट ऑफ केयर अल्ट्रासाउंड (पीओसीयूएस) पर चर्चा की गई। यह डॉक्टरों के लिए एक पॉवरफुल टूल्स की तरह है जिससे वे बच्चे के भीतर की तस्वीरें देख सकते हैं और किसी समस्या का जल्दी से जल्दी निदान कर सकते हैं।

भावात्मक संबंध करते हैं मदद, मशीन नहीं

डॉ. माखीजा ने कहा कि आजकल बच्चे हो या जवान सुबह उठकर सबसे पहले मोबाइल देखते हैं। 10 मिनट मोबाइल न मिले तो बेचैन होने लग जाते हैं। सुख-दुख में सहभागिता कम होती जा रही है। पैरेंट्स को याद रखना चाहिए कि मदद भावानात्मक संबंध करते हैं, मशीन नहीं।

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Updated on:
31 Aug 2024 07:19 pm
Published on:
31 Aug 2024 07:09 pm
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