कार्यशाला के दूसरे दिन कक्षा 1 से 5 तक पर्यावरण अध्ययन (ईवीएस) और अंग्रेजी विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
राजसमंद. शिक्षा की गुणवत्ता को सशक्त बनाने और प्राथमिक स्तर पर बच्चों की सीखने की क्षमता को बेहतर करने के उद्देश्य से ‘प्रखर राजस्थान’ कार्यक्रम के तहत जिले में तृतीय क्लस्टर स्तरीय कार्यशालाएं 11 से 15 नवंबर तक आयोजित की जाएंगी। इस दौरान शिक्षकों को नई शिक्षण तकनीकों, मूल्यांकन पद्धतियों और आधुनिक शैक्षणिक सामग्री से परिचित कराया जाएगा।
कार्यशालाएं दो-दिवसीय चरणों में होंगी, जिनमें पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले चार प्रमुख विषयों हिन्दी, गणित, पर्यावरण अध्ययन (ईवीएस) और अंग्रेजी के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। पहले चरण में कक्षा 1 से 5 तक के हिन्दी और गणित (लेवल-1) के शिक्षक तथा कक्षा 3 से 8 तक के हिन्दी विषय के शिक्षक भाग लेंगे। इन सत्रों में फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी (एफएलएन) के अंतर्गत आमुखीकरण कराया जाएगा, जिससे बच्चों में पढ़ने-लिखने और गणना की नींव को मजबूत किया जा सके।
ये कार्यशालाएं उन्हीं विद्यालयों में आयोजित की जाएंगी, जहां आईसीटी लैब और स्मार्ट टीवी जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। उद्देश्य यह है कि शिक्षकों को सीधे तकनीक-आधारित शिक्षण पद्धतियों का अनुभव कराया जा सके और वे इन्हें अपने विद्यालयों में व्यवहारिक रूप से लागू कर सकें।
कार्यशाला के दूसरे दिन कक्षा 1 से 5 तक पर्यावरण अध्ययन (ईवीएस) और अंग्रेजी विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इन सत्रों में इंटरएक्टिव टीचिंग, आकलन विधियों और शिक्षण में आधुनिक उपकरणों के उपयोग पर विशेष बल दिया जाएगा। प्रशिक्षकों द्वारा यह बताया जाएगा कि किस प्रकार कक्षा को अधिक संवादात्मक, आकर्षक और परिणामोन्मुख बनाया जा सकता है।
कार्यशालाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए 10 नवंबर को स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) और की रिसोर्स पर्सन (केआरपी) की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित की जाएगी। इस बैठक में प्रशिक्षण की रूपरेखा, प्रजेंटेशन, और अध्ययन सामग्री साझा की जाएगी ताकि प्रशिक्षक इन्हीं संसाधनों के माध्यम से विद्यालय स्तर पर प्रभावी प्रशिक्षण दे सकें।
दो दिवसीय इन प्रशिक्षणों का मूल उद्देश्य शिक्षकों को नई शिक्षण तकनीकों, समसामयिक सामग्री और मूल्यांकन प्रणाली से जोड़ना है। इससे न केवल उनकी शिक्षण दक्षता बढ़ेगी, बल्कि कक्षा में बच्चों की भागीदारी और सीखने के परिणामों में भी सुधार आएगा।
मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नारायण सिंह राव (आमेट) ने बताया कि “प्रखर राजस्थान कार्यक्रम के अंतर्गत ये कार्यशालाएं शिक्षकों की अकादमिक दक्षता और शिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगी। शिक्षक जब स्वयं नई तकनीकें और पद्धतियां सीखेंगे, तभी वे बच्चों को अधिक प्रभावी ढंग से सिखा सकेंगे।