इस बार सावन की फुहारेंआमेट के लिए केवल राहत नहीं, बल्कि आस्था और उल्लास का उत्सव बनकर आईं।
राजसमंद. इस बार सावन की फुहारेंआमेट के लिए केवल राहत नहीं, बल्कि आस्था और उल्लास का उत्सव बनकर आईं। सोमवार की सुबह जब नगर की जीवनरेखा कही जाने वाली चन्द्रभागा नदी पर बने ऐतिहासिक वेवर महादेव एनिकट के छलकने की खबर फैली, तो पूरा आमेट झूम उठा। आषाढ़ मास में ही एनिकट के छलक जाने को शुभ संकेत मानते हुए नगरवासियों ने नदी तट पर इकट्ठा होकर धार्मिक अनुष्ठान किया और चन्द्रभागा माता को लाल चुनर ओढ़ाकर पूजन-अर्चन किया।
सुबह-सुबह जैसे ही एनिकट की अंतिम दीवार से पानी की चादर फिसलती दिखाई दी, वैसे ही नगर में खबर फैल गई वेवर महादेव एनिकट छलक गया है। देखते ही देखते बड़ी संख्या में नगरवासी चन्द्रभागा नदी तट पर पहुंच गए।
महिलाएं थाल सजाकर नदी पूजन के लिए आईं
चन्द्रभागा नदी को नगरवासी केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि "मां" का रूप मानते हैं। यही कारण है कि एनिकट छलकने के बाद नदी को चुनर ओढ़ाने की परंपरा निभाई गई।पंडित मोतीलाल पालीवाल और पुजारी लक्ष्मणसिंह टांक के निर्देशन में नदी पूजन हुआ। महिलाओं ने मंगल गीत गाए, और पुरुषों ने सामूहिक रूप से जयकारे लगाए। नगर के प्रमुख नागरिक जैसे राहुल शर्मा, भरत पानेरी, हर्षित पालीवाल, योगेश शर्मा, हेमंत जोशी, घनश्याम पालीवाल, ओम पालीवाल और संजय खटीक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे और आयोजन में भागीदारी निभाई।
आमेट क्षेत्र में सोमवार तक 457 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की जा चुकी है, जिससे एनिकट लबालब हो चुका है। यह केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि नगर के जल प्रबंधन और पीने के पानी के लिए भी शुभ संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसे ही वर्षा बनी रही तो चन्द्रभागा नदी की जलधारा लंबे समय तक प्रवाहमान रहेगी और पेयजल संकट टलेगा।