सागर. रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में जिस जोश के साथ ढाना हवाई पट्टी को एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई थी, उसी गति से हवाई पट्टी पर एयरपोर्ट बनने के सपने फिसलते नजर आ रहे हैं। पांच माह पहले आयोजित हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में फ्लाई ओला नाम की कंपनी ने सागर […]
सागर. रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में जिस जोश के साथ ढाना हवाई पट्टी को एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई थी, उसी गति से हवाई पट्टी पर एयरपोर्ट बनने के सपने फिसलते नजर आ रहे हैं। पांच माह पहले आयोजित हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में फ्लाई ओला नाम की कंपनी ने सागर के ढाना में एयरपोर्ट बनाने की घोषणा की थी। बताया जा रहा है कि उस घोषणा के बाद से एजेंसी का कोई भी जनप्रतिनिधि दोबारा सागर नहीं आया और न ही एजेंसी की ओर से कोई सर्वे आदि कार्य किया गया है। निजी कंपनी ने सागर के ढाना समेत प्रदेश के चार स्थानों पर 1800 करोड़ के निवेश से एयरपोर्ट विकसित करने की घोषणा की थी।
बुंदेलखंड का संभागीय मुख्यालय होने के बावजूद सागर जिला अब तक उपेक्षित रहा है। सागर मुख्यालय के चारों ओर मात्र तीन एयरपोर्ट ही हैं, जो 200 किमी से ज्यादा की दूरी पर हैं। देश के महानगरों से सागर आने के लिए भोपाल, खजुराहो और जबलपुर एयरपोर्ट पर ही आना पड़ता है, जिनकी दूरी ज्यादा होने के कारण लोग सागर की यात्रा करने से बचते हैं।
बताया जा रहा है कि शासन स्तर पर कॉन्क्लेव में हुईं घोषणाओं व चर्चाओं पर दोबारा फॉलोअप नहीं लिया गया है। कॉन्क्लेव में सागर को सबसे बड़ी उपलब्धि एयरपोर्ट की ही मिली थी, लेकिन यह भी हाथ से निकलता नजर आ रहा है।मात्र दो सौ मीटर की बढ़ा रहे लंबाईबीते दिनों ढाना हवाई पट्टी पर एविएशन की ओर से आई एक टीम ने सर्वे किया था। इस टीम के निरीक्षण के बाद हवाई पट्टी को मात्र 200 मीटर बढ़ाने के लिए ही प्रस्ताव बनाया गया है और उसे भोपाल भेजा गया है। एयरपोर्ट के हिसाब से हवाई पट्टी की लंबाई कम से कम डेढ़ किलोमीटर होना चाहिए।
जिले में बीना रिफाइनरी, जेपी थर्मल पावर प्लांट, पावरग्रिड, केंद्रीय विश्वविद्यालय, महार रेजीमेंट, एफएसएल, वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व जैसे बड़े केंद्र होने के बाद भी एयरपोर्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है, जिसके कारण सागर का विकास प्रभावित हो रहा है।
एयरपोर्ट को लेकर जिला प्रशासन की ओर से जितनी भी प्रक्रिया थी, उसको तय समय पर पूरा करके प्रस्ताव के रूप में भेज दिया था। बीते दिनों एक टीम सर्वे के लिए आई थी। आगे की प्रक्रिया भोपाल व एविएशन विभाग की ओर से ही की जानी है। - संदीप जीआर, कलेक्टर