किसान भुगतान के लिए काट रहे चक्कर, अधिकारी भी नहीं दे रहे संतोषजनक जवाब
बीना. भावांतर योजना के नए-नए नियमों के फेर में किसान परेशान हो रहे हैं। शुरुआत में कम से कम दामों पर सोयाबीन बेचने वालों के लिए योजना का लाभ दिया गया, लेकिन अब नए नियम के तहत 3500 रुपए क्विंटल या इससे कम पर सोयाबीन बिकने पर योजना की राशि नहीं दी जा रही है।
जानकारी के अनुसार कृषि उपज मंडी में अभी तक 6762 किसान भावांतर योजना के तहत करीब 1 लाख 7 हजार क्विंटल सोयाबीन की खरीदी हो चुकी है। योजना की राशि का भुगतान दो बार किया जा चुका है। पहली बार में सभी किसानों को इसका लाभ दिया गया था, लेकिन दूसरी बार हुए भुगतान में 3500 रुपए क्विंटल या इससे कम दामों पर सोयाबीन बिकने पर योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। खातों में राशि न आने पर किसान कृषि उपज मंडी पहुंच रहे हैं, जहां उनसे नए आदेश के तहत राशि न आने की बात अधिकारी कह रहे हैं, लेकिन इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया जा रहा है। गौरतलब है कि इस वर्ष लगातार हुई बारिश के कारण सोयाबीन की उपज की गुणवत्ता ठीक न होने के कारण ज्यादातर किसानों की उपज कम दामों पर ही बिक रही है और नए नियम के कारण इन किसानों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। योजना के तहत मॉडल रेट और एमएसपी के बीच का अंतर दिया जाता है।
गुणवत्ता भी हो सकता है कारण
योजना के तहत जो सोयाबीन खरीदा जा रहा है, उसके सैंपल लेकर गुणवत्ता, नमी चेक की जा रही है। उपज में गुणवत्ता न होना भी भुगतान न होने का कारण हो सकता है, लेकिन अभी अधिकारी कुछ स्पष्ट नहीं कर रहे हैं।
आए हैं आदेश
3500 रुपए या इससे कम पर बिकने वाले सोयाबीन का भावांतर योजना के तहत भुगतान न होने के आदेश हैं। भुगतान रोक क्यों लगाई है, इसकी जानकारी नहीं है।
कमलेश सोनकर, सचिव, कृषि उपज मंडी, बीना