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सिक्योरिटी गार्ड की बेटी ने लहराया तिरंगा, वर्ल्ड बॉक्सिंग में जीता था गोल्ड, अब ओलंपिक में पदक की आस

जैस्मिन ने 2021 में दुबई में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उसी वर्ष एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में रजत पदक और 2022 में बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में 60 किग्रा लाइटवेट वर्ग में कांस्य पदक जीता।

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Aug 29, 2025
विश्व बॉक्सिंग में गोल्ड जीतने वाली भारतीय सेना की पहली महिला मुक्केबाज (Photo Credit-IANS)

भारत में मुक्केबाजी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ओलंपिक जैसे मंच पर भारतीय मुक्केबाज अपना प्रभाव छोड़ने में सफल हो रहे हैं। मुक्केबाजी में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी आगे आ रही हैं। महिला मुक्केबाजी में तेजी से एक नाम लोकप्रिय हो रहा है। वह नाम जैस्मिन लंबोरिया का है। 24 साल की जैस्मिन लंबोरिया ने कड़ी मेहनत, दृढ़ निश्चय और प्रतिभा के बल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।

हरियाणा एथलेटिक्स के क्षेत्र में भारत के सबसे प्रगतिशील राज्य के रूप में सामने आया है। हरियाणा के ही भिवानी में 30 अगस्त 2001 को जैस्मिन लंबोरिया का जन्म हुआ है। भिवानी को 'लिटिल क्यूबा' के नाम से जाना जाता है। उनके पिता जयवीर लंबोरिया सिक्योरिटी गार्ड हैं, जबकि मां जोगिंदर कौर गृहिणी हैं।

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रूढ़िवादी सोच से लड़ीं जैस्मिन

मुक्केबाजी के क्षेत्र में करियर बनाने का फैसला जैस्मिन के लिए शुरुआती समय में आसान नहीं था। लड़की होने की वजह से उन्हें परिवार और समाज की रूढ़िवादी सोच से जूझना पड़ा, लेकिन एक बार सभी का विश्वास हासिल करने के बाद फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जैस्मिन को अपने सफर में चाचा संदीप और परविंदर का भी बाद में साथ मिला, जो खुद मुक्केबाज हैं। दोनों बॉक्सिंग में राष्ट्रीय स्तर पर विजेता रहे हैं।

भिवानी की लैंबोरिया बॉक्सिंग अकादमी में जब जैस्मिन ने प्रशिक्षण शुरू किया, उस समय वहां कोई महिला मुक्केबाज नहीं थी। इसलिए उन्होंने लड़कों के साथ प्रशिक्षण लिया, जिसने उनकी तकनीक और आत्मविश्वास को और मजबूत किया। जैस्मिन ने 2021 में दुबई में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उसी वर्ष एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में रजत पदक और 2022 में बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में 60 किग्रा लाइटवेट वर्ग में कांस्य पदक जीता।

ओलंपिक में पदक की आस

इन उपलब्धियों के बाद उन्हें भारतीय सेना में नियुक्ति मिली। वह भारतीय सेना की पहली महिला मुक्केबाज हैं। अस्ताना में 2025 में आयोजित विश्व बॉक्सिंग कप में जैस्मिन ने गोल्ड मेडल जीत वैश्विक मंच पर अपनी श्रेष्ठता साबित की। उनसे आगामी कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक में पदक की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैस्मिन की सफलता खासकर उन लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो रूढ़िवादिता के बोझ तले अपने सपनों का समझौता कर लेती हैं।

Published on:
29 Aug 2025 09:05 pm
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