अटारी वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की ओर से पाकिस्तान को आगाह किया गया कि वह इस कॉरिडोर को भारत विरोधी गतिविधियों का जरिया न बनने दे। साथ ही पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को यह भी बताया गया कि यह वार्ता द्विपक्षीय वार्ता नहीं है क्योंकि वार्ता और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते है।
वार्ता में भारतीय अधिकारियों ने कॉरिडोर को साल के सभी 365 दिन खुला रखने, सभी दिन श्रद्धालुओं को करतारपुर गुरूद्वारा जाने की अनुमति देने, सामान्य तौर पर पांच हजार श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब जाने देने और विशेष अवसर पर 15 हजार श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति देने, कॉरिडोर को सुबह से शाम तक खुला रखने, सभी प्रवासी भारतीयों और ओवरसीज सिटिजंस ऑफ इंडिया कार्ड धारकों को जाने की अनुमति देने के प्रस्ताव रखे गए। भारत की ओर से इस बात पर कडी आपत्ति दर्ज कराई गई कि करतारपुर साहिब गुरूद्वारे के आसपास की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। भारत ने यह अतिक्रमण तुरन्त हटाने को कहा है। गुरूद्वारे के लिए जमीन तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह और अन्य प्रमुख सिख श्रद्धालुओं ने दी थी।
उधर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने रोजाना सिर्फ 500 श्रद्धालुओं को करतारपुर जाने की अनुमति का प्रस्ताव रखा और विशेष अवसर पर जाने वाले श्रद्धालुओं के मुद्दे पर कोई राय नहीं दी। पाकिस्तान कॉरिडोर को साल के 365 दिन सुबह से शाम तक खुला रखने के बजाय सप्ताह में तीन से चार दिन खुला रखने के पक्ष में है। पाकिस्तान शुरूआत में सिर्फ सिख श्रद्धालुओं को ही करतारपुर जाने की अनुमति के पक्ष में था लेकिन जोर देने पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को अनुमति देने के लिए सहमत हुआ। करतारपुर साहिब गुरूद्वारे की जमीन का अतिक्रमण हटाने के मुद्दे पर पाकिस्तान की ओर से कोई आश्वासन नहीं दिया गया।