कर्मचारी आचार संहिता के खत्म होते ही अवकाश लेकर बाहर चले गए हैं
अब आचार संहिता समाप्त हो चुका है उपरोक्त कर्मचारियों की स्थानांतरण अतिशीध्र किया जाए, ताकि परिषद का कार्य व्यवस्थित रूप से हो सके। इधर कर्मचारी आचार संहिता के खत्म होते ही अवकाश लेकर बाहर चले गए हैं। इसके कारण कर्मचारी कार्यालय में कोई भी उपस्थित नहीं रहता और कार्यालयीन कार्य प्रभावित हैं। अध्यक्ष ने शिकायती पत्र के माध्यम से चेतावनी देते हुए कहा कि सम्बंधित अधिकारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया जल्द ूपूरी की जाए अन्यथा हम जनप्रतिनिधि को हड़ताल में बैठने के लिए विवश होना पड़ेगा।
जमीन कृषि योग्य नहीं रह गया है
इधर जमुना कोतमा निवासी बेवा नानबाई पाव ने एसईसीएल द्वारा वर्ष 2002 में ग्राम जमुना के कुल 6 किता लगभग कुल रकबा 2.748 हेक्टेयर के अधिग्रहण करने तथा अबतक कोई मुआवजा राशि नहीं प्रदान करने पर नाराजगी जताते हुए परिवार के सदस्यों द्वारा आत्महत्या करने की चेतावनी दी है। महिला का कहना है कि कॉलरी द्वारा कोयला उत्खनन के दौरान उक्त भूमि पर बड़े-बड़े गड्ढे एवं दरारे पड़ जाने के कारण जमीन कृषि योग्य नहीं रह गया। भूमि के मुआवजा के सम्बंध में प्रशासन को आवेदन पत्र दिया गया था जिसमें प्रशासन द्वारा वर्ष 2005 तक का फसल मुआवजा भी दिलाया गया था। शेष अवधि वर्ष 2010-11 तक का फसल का नुकसानी एवं अधिग्रहित भूमिा का मुआवजा आजतक नहीं दिलाया गया। बल्कि एसईसीएल द्वारा उक्त भूमि में बने गड्ढे व दरारों को रेत से भर दिया गया। $$भरण पोषण के अन्य स्त्रोत नहीं होने के कारण परिवार चलाने में दिक्कतें आ रही है। भूखमरी के कारण ही दो वर्ष पूर्व पुत्र नानसाय पाव ने तंग होकर आत्महत्या कर लिया था। जबकि दूसरा पुत्र रामधनी पाव भी इस परेशानी में वृक्ष से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। यदि मुआवजा का तत्काल भुगतान नहीं होता है तो मेरे घर के और भी सदस्य व बहुएं फंासी लगाकर आत्महत्या करने को तैयार हैं।