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अशोकनगर

प्रेम संबंधों में बाधक बन रहे पति से नाराज पत्नी ने ही की थी हत्या!

Murder of husband for lover boy: एक माह पहले की थी वारदात, पति को लग गई थी अवैध संबंधों की जानकारी…

अशोकनगरOct 02, 2019 / 12:05 pm

दीपेश तिवारी

प्रेम संबंधों में बाधक बन रहे पति से नाराज पत्नी ने ही की थी हत्या!

प्रेम संबंधों में बाधक बन रहे पति से नाराज पत्नी ने ही की थी हत्या!

अशोकनगर। मध्य प्रदेश में अशोकनगर जिले की देहात थाना पुलिस ने एक माह पहले रूहाना में हुए अंधेकत्ल का पर्दाफाश कर दिया है। मृतक की पत्नी ने ही प्रेम संबंध की जानकारी लग जाने के कारण कुल्हाड़ी मारकर हत्या की थी। पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी खेड़े में भरे पानी में से बरामद कर ली है।
एसपी पंकज कुमावत ने बताया कि मृतक महेश कोरी की पत्नी शांति बाई (34) पर संदेह होने पर उससे पूछताछ की गई, जिसमें उसने अपना जुर्म कुबूला।

उसने बताया कि वह अपने रिश्ते के देवर अजय उर्फ पन्नालाल पंत निवासी गुना से प्रेम करती थी, जिसकी जानकारी महेश को लगने के बाद वह उससे झगड़ा करता था और धंधा करवाने की धमकी दे रहा था।
महेश ने चिमटे से उसे मारा तो गुस्से में उसने कुल्हाड़ी से सोए हुए महेश की गर्दन पर वार किया और मरा समझकर सुबह घरवालों को बताया।

कार्रवाई में टीआई नरेन्द्र सिंह यादव, एसआईमंजू मखैनिया, नवल सिंह चौधरी, प्रआ कासिम खान, पहलवान सिंह, आरक्षक अनिल सेंगर, हेमराज शर्मा एवं सायबर सेल एएसआईसंजय गुप्ता, आरक्षक दीपक व प्रशांत भदौरिया की भूमिका रही।
पुलिस का ये भी मानना है कि शायद पति के प्रेम संबंधों में बाधक बनने की नाराजगी भी पत्नी में रही होगी, ऐसे में पति से हुई तनातनी के बीच उसने पति की हत्या की होगी।
ये बनाई थी कहानी
महेश की हत्या 27 अगस्त की रात में की गई थी। उसकी पत्नी 28 अगस्त को अपने भाई दलीवर व रिश्तेदार रामेश्वर के साथ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंची।

उसने बताया कि रात में करीब 12 बजे उसके बेटे दीपक द्वारा कान में दर्द होने का कहकर बुलाने पर वह उसके पास सो गई थी। सुबह 5.30 बजे जब पति के कमरे में गई तो वह खून से लथपथ पड़ा था। उसने किसी अज्ञात व्यक्ति पर आरोप लगाते हुए प्रकरण दर्ज करवाया था।

इधर,31.86 लाख की आर्थिक गड़बड़ी के मामले में दो साल बाद एफआईआर दर्ज…
वहीं दूसरी ओर अशोकनगर में 31.86 लाख रुपए की आर्थिक गड़बड़ी के मामले में योजना विभाग ने दो साल के बाद स्वसहायता समूह की अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया।
साथ ही कहा है कि गलती से खाते में पहुंची इतनी बडी शासकीय राशि को निकालकर समूह ने खाता बंद करा दिया और अब राशि वापस नहीं लौटाई जा रही है, जिन पर अभी योजना विभाग के 15.25 लाख रुपए बकाया बताए गए है। मामला 2017 का है।
जिला योजना विभाग को सांसद निधि, विधायक निधि और स्वेच्छानुदान की जो राशि जनपद पंचायत चन्देरी के खाते में भेजना थी, उस शासकीय राशि को जिला योजना विभाग के जिम्मेदार विदिशा जिले के मध्यान्ह भोजन समूह के खाते में भेजता रहा।
एक जनवरी 2017 से 31 दिसंबर 2017 तक विभाग ने बीजासेन स्वसहायता समूह बिरिया के खाते में कई बार में कुल 31 लाख 86 हजार 6 00 रुपए शासकीय राशि भेज दी।

जब विभाग के जिम्मेदारों को इस गलती का पता चला तो दो साल में वह समूह से 16 लाख 6 1 हजार 124 रुपए ही वसूल सके। अभी समूह पर 15 लाख 25 हजार 475 रुपए की राशि बकाया है।
जिला योजना अधिकारी बीएस बसुनिया की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने विदिशा जिले के स्वसहायता समूह बिरिया पूरनपुरा की अध्यक्ष वर्षा पत्नी संजय ठाकुर और समूह की सचिव सरोज श्रीवास्तव के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है।
राशि निकाल बंद करवा दिया खाता
समूह के खाते में 31.8 6 लाख रूपए आए तो समूह ने राशि निकालकर उस खाते को ही बंद करवा दिया था। वहीं नोटिस के बाद भी समूह यह शासकीय राशि वापस लौटने तैयार नहीं था।
राशि भेजने वालों पर कार्रवाई नहीं
योजना अधिकारी ने इस मामले में समूह की अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ तो प्रकरण दर्ज करा दिया, लेकिन समूह के खाते में लगातार एक साल तक राशि भेजने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई।
इतना ही नहीं विभाग व प्रशासन इतनी बड़ी आर्थिक गड़बड़ी करने वाले दोषियों को बचाने में लगे हुए हैं। इससे विभाग के अधिकारियों के साथ प्रशासन की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्या कारण है जो आर्थिक गड़बड़ी करने वाले जिम्मेदारों को बचाया जा रहा है।
पत्रिका ने उजागर की थी आर्थिक गड़बड़ी…
विभाग और प्रशासन तो इस मामले को लगातार दो साल से दबाए हुए था और शासकीय राशि को वसूलने में भी सख्ती नहीं दिखाई जा रही थी।

पत्रिका ने जब इस गड़बड़ी का खुलासा किया तो विभाग और प्रशासन हरकत में आए और योजना अधिकारी ने इस पूरे मामले में सिर्फ समूह को जिम्मेदार माना और प्रकरण दर्ज करा दिया। जबकि एक साल तक उस समूह के खाते में राशि भेजने वाले विभाग के जिम्मेदार भी उतने ही दोषी हैं।

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