टूर्नामेंट में खास बात यह रही कि इस गेम से जुड़े कुछ 60 से 62 बर्ष तक के सीनियर खिलाड़ी ने भी मैच में हिस्सा लिया। यह लोग लंबे समय से इस खेल को जिले में जिंदा रखे हुए हैं। कई जगह के सीनियर खिलाडिय़ों के साथ ग्रामीण क्षेत्र से आए एक मात्र १५ बर्षीय खिलाड़ी ने टीम में हिस्सेदारी करते हुए अच्छा प्रदर्शन किया। इस दौरान वॉलीबॉल के शौकीन शासकीय कर्मचारियों ने अवकाश लिय तो वहीं दुकानदार भी अपनी दुकानें बंद कर मैच खेलने पहुंचे।
मैं 62 वर्ष का हूं बचपन से फुटबॉल और वॉलीबॉल खेलों का शौकीन हूं लेकिन आज बच्चे मोबाइल और ऑनलाइन गेमों में ज्यादा समय देते हैं और ग्राउंड में नजर नहीं आते। हम स्कूल समय में मैचों में हिस्सा लेते थे लेकिन बाद में कुछ दिन के लिए बंद कर दिया आज उम्र हो जाने के बाद भी ग्राउंड पर खिलाडिय़ो के साथ जोरआजमाइश करता हूं।
सन 1975 से वॉलीबॉल खेलने का शौकीन हूं 60 वर्ष उम्र हो गई है लेकिन फिर भी ग्राउंड पर प्रतिदिन अपने साथियों के साथ वॉलीबॉल खेलता हूं जिससे स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है। आज देखने को मिलता है कि वॉलीबॉल मेें युवा कम रुचि दिखा रहे हैं एवं मोबाइलों में और ऑनलाइन गेम को ज्यादा समय देते हैं। युवाओं को ग्राउंड में आकर खेलों में भाग लेना चाहिए।