हालात इतने खराब है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों ने संसद पर धावा बोल दिया। सैंकड़ों प्रदर्शनकारी संसद के अंदर घुस गए। संसद के अंदर घुसे करीब 2 हजार प्रदर्शनकारियों ने अपने नेता और पूर्व राष्ट्रपति अलमाजबेक अतमबयेव को भी जेल से रिहा करा लिया। हालांकि इसके बावजूद वर्तमान राष्ट्रपति सूरनबे जीनबेकोव ( Sooronbay Jeenbekov ) ने दावा किया है कि अभी भी देश में उनका नियंत्रण है।
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इधर मंगलवार को किर्गिस्तान के केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजधानी बिश्केक और अन्य शहरों में भारी विरोध प्रदर्शनों के बाद सप्ताहांत में हुए संसदीय चुनाव के नतीजों को अमान्य घोषित कर दिया है। बीते रात यानी सोमवा की रात को विपक्षी समर्थकों ने कई सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया है और नए सिरे से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि चुनाव में वोट खरीदे गए थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में करने के लिए पानी के कैनन, स्टन ग्रनेड और आंसू गैस का इस्तेमाल किया है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें लोग संसद और अन्य सरकारी इमारतों में घूमते नजर आए। राष्ट्रपति के ऑफिस में घुसे प्रदर्शनकारियों ने खिड़कियों से बाहर कागज भी फेंक दिए।
पूर्व राष्ट्रपति को प्रदर्शनकारियों ने कराया रिहा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आदिल तुरडुकोव नाम के एक कार्यकर्ता ने बताया कि नैशनल सिक्यॉरिटी कमिटी की इमारत से पूर्व राष्ट्रपति अतमबयेव को बिना किसी बलप्रयोग के छुड़ा लिया गया और अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश भी नहीं की।
इससे पहले प्रदर्शनकारियों का एक समूह किर्गिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के पास पहुंचा और पूर्व राष्ट्रपति अल्माजबेक अत्माबेयेव को मुक्त करने की मांग की कि जिन्हें इस साल भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था और 11 साल दो महीने कैद की सजा सुनाई गई थी। विपक्षी पार्टियों के कई सदस्यों ने मौजूदा राष्ट्रपति सूरॉनबाई जीनबेकोव को अपदस्थ करने और नयी सरकार बनाने की घोषणा की।
बता दें कि अतमबयेव और सूरनबे आपस में काफी नजदीकी हुआ करते थे लेकिन 2017 में सूरनबे के चुनाव जीतने के बाद दोनों के बीच दरार आ गई।
चुनाव के नतीजे रद्द
चुनाव आयोग की अध्यक्ष नूरजहां शैलदाबेकोवा ने कहा कि देश में ‘तनाव बढ़ने से रोकने के लिए’ चुनाव नतीजों को रद्द करने का फैसला किया गया है। पिछले रविवार को हुए चुनावों में छेड़छाड़ का आरोप लगाकर विपक्षी नेता सड़कों पर उतर आए।
मतदान के बाद इस तरह के परिणाम सामने आया जिसमें 16 में से सिर्फ 4 पार्टियां ही संसद में जगह बना सकीं। इनमें से तीन राष्ट्रपति जीनबेकोव की करीबी हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति के करीबी गुटों ने वोट खरीदने और वोटरों को डराने का काम किया है। इसके बाद विपक्ष की 12 पार्टियों ने साथ आकर ऐलान किया कि वे चुनाव के नतीजों को नहीं मानते हैं और देश के केंद्रीय निर्वाचन आयोग से चुनाव के नतीजों को रद्द करने की मांग भी की।
चोन कजात पार्टी के सदस्य मकसात ममीत्कानोव ने कहा, ‘हम राष्ट्रपति सूरॉनबाई जीनबेकोव को उनके पद से बर्खास्तगी चाहते हैं।’