सरकारी अभियोजकों को राजधानी नेपीता की कोर्ट में 28 जून तक अपना पक्ष रख दिया है। इसके बाद सूकी की ओर से बचाव पक्ष को 26 जुलाई को अपना पक्ष रखना होगा। सू की और उनके विश्वस्त दोनों नेताओं पर ऐसी सूचनाएं फैलाने का आरोप है, जिससे अशांति पैदा हो सकती थी। सू की पर 2020 में चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना वायरस महामारी जैसी प्राकृतिक आपदा प्रबंधन कानून तोड़ने का आरोप भी है।
गौरतलब है कि सेना ने फरवरी में निर्वाचित सरकार का तख्तापलट कर सूकी को गिरफ्तार किया था। तख्तापलट के खिलाफ जनविरोध मजबूत बना रहा और हाल के माह इसने सशस्त्र विद्रोह का रूप ले लिया। सूकी के समर्थकों का आरोप है कि उनकी नेता पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।