पीएफपीए के एक वरिष्ठ अधिकारी चौधरी एजाज कामरान के अनुसार- पाकिस्तान की फिल्में भारत में नहीं दिखाई जा रही हैं, इसलिए वे यहां भारतीय फिल्में क्यों दिखाएं?
जंगलों में आग लगने से रोकने के लिए पुर्तगाल सरकार ले रही किराए पर बकरियां कामरान ने कहा कि- ‘हमे इसके बारे में गंभीरता से सोचना होगा क्योंकि यह सच है कि हमारे वितरक और सिनेमाघरों के मालिक भारतीय फिल्में दिखाकर पैसा कमाते हैं। किंतु यह हमारे सिनेमा के विकास के लिए लंबे समय के लिए नुकसानदायक होगा।’
गौर हो, भारतीय फिल्मों पर रोक लगाने की मांग ऐसे समय में हो रही है, जब हाल के महीनों में कई भारतीय फिल्मों को विभिन्न कारणों से पाकिस्तान के सिनेमाघरों में प्रदर्शित किए जाने से रोक दिया गया। पाकिस्तान में पिछले दिनों ‘पैडमैन’, ‘वीरे दी वेडिंग’, ‘मुल्क’ और ‘राजी’ जैसी कई फिल्मों को दिखाने से मना कर दिया गया।
SCO के मंच से भारत ने दिया पाकिस्तान को कड़ा संदेश, एक बार फिर शाह महमूद कुरैशी को किया नजरअंदाज कामरान के अनुसार- पीएफपीए ने प्रधानमंत्री इमरान खान को इस संबांध में एक पत्र लिखा है। इसमें उनसे अनुरोध किया गया है कि वे जल्द ही इस पर अंतिम फैसला लेकर आवश्यक निर्देश जारी करें। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन यह मानती है कि स्थानीय फिल्म उद्योग के विकास के लिए सरकार को ऐसा कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नई पाकिस्तानी फिल्मों ने ईद के मौके पर अच्छा कारोबार किया, क्योंकि सिनेमाघर मालिकों ने उन्हें स्क्रीनिंग के लिए सही समय दिया।