सतीश चंद्र मिश्र ने अयोध्या में अपने संबोधन में कहा कि 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ था। उस दिन ब्राह्मणों ने सवाल उठाए थे कि यह तारीख किसने बताई। ऐसा अशुभ दिन चुना जिससे काम ही नहीं हो पा रहा है। एक वर्ष बाद भी मंदिर की नींव भी नहीं बन पा रही है। मंदिर बनेगा या नहीं, यह आज भी बड़ा प्रश्न है। 2022 में बसपा की सरकार बनेगी तो राम मंदिर के लिए जो पैसा इकट्ठा किया हैं, हम मजबूर करेंगे कि राम मंदिर बनाएं। राम मंदिर का निर्माण कार्य भी बसपा की सरकार में ही होगा। उन्होंने कहा-ब्राह्मण समाज परशुराम जी के वंशज हैं। डर निकालिए। आप तिलक लगाते हैं और जनेऊ पहनते हैं। कान्यकुब्ज और सरयूपारी ब्राह्मण का अंतर भुला दीजिए।
ये भी पढ़ें- बसपा फिर लौटी ‘सोशल इंजीनियरिंग’ के फॉर्मूले पर, 2007 का इतिहास दोहराने की कर रही कोशिश हाल में विपक्ष ने मंदिर निर्माण के परिसर में आने वाली जमीन में कथित घोटाले को लेकर सरकार को घेरा था। यही नहीं मंदिर के नाम पर इकट्ठा की गई धनराशि को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाए गए है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बसपा महासचिव के बयान के बाद संकेत मिलते दिख रहे हैं कि विपक्ष इन सभी बातों को चुनाव में मुद्दा बना सकता है। मंदिर निर्माण भाजपा के कोर एजेंडा में शामिल है। धार्मिक दृष्टि से अयोध्या में राम मंदिर का हिंदू आबादी के एक बड़े हिस्से से जुड़ाव है और यूपी की राजनीति में इसका बड़ा महत्व भी है। ऐसे में सभी दल इसके जरिए लोगों के करीब पहुंचना चाहेंगे।