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अयोध्या

सतीश चंद्र मिश्रा का दावा, गलत मुर्हूत निकाला इसलिए मंदिर निर्माण में बाधा

सतीश मिश्रा ने कहा कि उस दिन ब्राह्मणों ने सवाल उठाए थे कि यह तारीख किसने बताई। ऐसा अशुभ दिन चुना जिससे काम ही नहीं हो पा रहा है।

अयोध्याJul 23, 2021 / 08:29 pm

Abhishek Gupta

Ram Mandir

Ram Mandir

अयोध्या. बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) शुक्रवार को रामनगरी अयोध्या (Ayodhya) पहुंचे। यहां उन्होंने बसपा ‘प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी’ का आगाज तो किया ही, राममंदिर के निर्माण कार्य में आ रही बाधा और हो रही देरी को लेकर भी बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि मंदिर के शिलान्यास का मुर्हूत ही गलत था, इसलिए मंदिर निर्माण में बाधा आ रही है। यही नहीं उन्होंने कहा बसपा की सरकार में ही मंदिर का निर्माण होगा। सतीश चंद्र मिश्रा के इस बयान से सियासी गलियारी में हलचल मच गई है। सतीश मिश्रा के बयान से राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं किबसपा न सिर्फ ब्राह्मण बल्कि सॉफ्ट ‘हिंदुत्व’ कार्ड भी खेलना चाह रही है। बता दें कि बीते वर्ष पांच अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन तक राम मंदिर की आधारशिला रखी थी।
सतीश चंद्र मिश्र ने अयोध्या में अपने संबोधन में कहा कि 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ था। उस दिन ब्राह्मणों ने सवाल उठाए थे कि यह तारीख किसने बताई। ऐसा अशुभ दिन चुना जिससे काम ही नहीं हो पा रहा है। एक वर्ष बाद भी मंदिर की नींव भी नहीं बन पा रही है। मंदिर बनेगा या नहीं, यह आज भी बड़ा प्रश्न है। 2022 में बसपा की सरकार बनेगी तो राम मंदिर के लिए जो पैसा इकट्ठा किया हैं, हम मजबूर करेंगे कि राम मंदिर बनाएं। राम मंदिर का निर्माण कार्य भी बसपा की सरकार में ही होगा। उन्होंने कहा-ब्राह्मण समाज परशुराम जी के वंशज हैं। डर निकालिए। आप तिलक लगाते हैं और जनेऊ पहनते हैं। कान्यकुब्ज और सरयूपारी ब्राह्मण का अंतर भुला दीजिए।
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हाल में विपक्ष ने मंदिर निर्माण के परिसर में आने वाली जमीन में कथित घोटाले को लेकर सरकार को घेरा था। यही नहीं मंदिर के नाम पर इकट्ठा की गई धनराशि को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाए गए है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बसपा महासचिव के बयान के बाद संकेत मिलते दिख रहे हैं कि विपक्ष इन सभी बातों को चुनाव में मुद्दा बना सकता है। मंदिर निर्माण भाजपा के कोर एजेंडा में शामिल है। धार्मिक दृष्टि से अयोध्या में राम मंदिर का हिंदू आबादी के एक बड़े हिस्से से जुड़ाव है और यूपी की राजनीति में इसका बड़ा महत्व भी है। ऐसे में सभी दल इसके जरिए लोगों के करीब पहुंचना चाहेंगे।

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