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अयोध्या

रामनवमी में श्रीरामलला की करें ऐसे पूजा, आपकी हर मनोकामना होगी पूरी

रामनवमी पूजा समय, व्रत और अनुष्ठान की पूरी जानकारी

अयोध्याApr 01, 2020 / 06:17 pm

Hariom Dwivedi

ram navami vrat puja

श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में श्रीराम का अवतरण हुआ था इसलिए यहां भव्यता से हर साल जन्मोत्सव मनता रहा है

अयोध्या. रामनगरी अयोध्या में इस बार श्रीरामजन्मोत्सव सादगीपूर्ण ढंग से मनेगा। कड़ी सुरक्षा के बीच खुले वातावरण में भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव पर दीप प्रज्ज्चलित किए जाएंगे। मान्यता है कि चैत्र माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन श्रीराम जन्मोत्सव के रूप मे मनाया जाता है। श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में श्रीराम का अवतरण हुआ था इसलिए यहां भव्यता से हर साल जन्मोत्सव मनता रहा है। इस बार भी श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र मे अस्थाई मंदिर की स्थापना के साथ ही 2 अप्रैल, यानी गुरुवार को यह पर्व मनाया जाएगा।
क्या कहते हैं धर्माचार्य
सबसे अनुकूल ग्रह
अयोध्या के ज्योतिष आचार्य पंडित प्रवीण शर्मा के मुताबिक, भगवान श्रीराम जन्म समय के दौरान ग्रहों की स्थिति शुभ स्थिति और दुर्लभ योग भी बन रहे थे। इस दिन पांच ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित थे। सूर्य, मंगल, बृहस्पति, शुक्र और शनि के उच्च राशि में स्थित होने से राजयोग, पंच महापुरुष योग और देवयोग भी बने थे। भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम इन ग्रहों कि सबसे अनुकूल स्थिति से त्रेतायुग में राजा दशरथ के यहां जन्मे थे। इसीलिए वह पुरुषोत्तम कहलाए।
पुनर्वसु नक्षत्र में भगवान का जन्म
श्रीरामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक भगवान राम का अवतार त्रेता युग में हुआ था। अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था तब चैत्र माह के शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम का जन्म हुआ था।
जलेंगे खुशी के दीप, इस तरह मनेगा जन्मदिन
श्रीरामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि इस बार सैकड़ों साल बाद खुशियां दोगुनी हुई हैं। रामलला टेंट से बाहर निकले हैं। लेकिन, कोरोना वायरस की वजह से भक्त घरों से ही भजन और गीत गाएंगे। जन्मोत्सव के दिन रात को भगवान राम के आने की खुशी में पूरे श्रीरामजन्मभूमि क्षेत्र में दीप जलाए जाएंगे। यहां की गोशालाओं की गाय के बने शुद्ध घी से दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। अष्टमी की रात्रि हर मंदिर में पुजारी प्रगट भए कृपाला गीत गाकर अभिवादन करेंगे। सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर विधि पूर्वक श्रीराम लला के प्रकट होने का पाठ, पूजन और आरती होगी। सात नदियों के जल से स्नान कराते हुए 56 प्रकार का प्रसाद भोग स्वरूप लगाया जाएगा। श्रीराम समेत चारों भाइयों को नवीन वस्त्र पहनाया जाएगा। सुबह श्रीराम सहित चारों भाइयों को पालने में झुलाया जाएगा।
क्या करें भक्त
भक्तों को रामनवमी की भोर में उठकर श्रीराम जप करते हुए ध्यान लगाना चाहिए। स्नान के साथ सूर्य को जल देकर उनका ध्यान करना चाहिए। इसके बाद पूरे दिन नियम और संयम के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम का व्रत करना चाहिए। भगवान राम और सीता माता के साथ ही भगवान लक्ष्मण और हनुमान जी की पूजा की जानी चाहिए। घरों में ही रहकर भजन-कीर्तन करें। भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाएं। परिवार के साथ रामचरित मानस का पाठ करें। राम नवमी के दिन उपवास रखने से सुख समृद्धि आती है और पाप व बुराइयों का नाश होता है। भगवान भक्त के बस में होते हैं, जैसा भक्त चाहता है भगवान वैसे ही दिखते हैं। जन्मोत्सव में भगवान बाल स्वरूप में आते हैं। भक्तों की मुराद बाल स्वरूप भगवान राम पूरा करते हैं।

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