बता दें कि, आजमगढ़ की दो नगरपालिका और 11 नगरपंचायतों के लिए 22 नवंबर को मतदान होना है। चारों बड़े दल सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस सिंबल पर चुनाव लड़ रही है। सभी दल आजमगढ़ के साथ ही मुबारकपु में भी भीतरघात के खतरे से जूझ रहे हैं। वैसे यहां भाजपा में घमासान कम है। कारण कि बीजेपी का प्रदर्शन यहां हमेशा खराब रहा है। पिछले दो चुनाव से सपा और बसपा भी खाता नहीं खोल सकी है। निर्दल डा. शमीम सीट पर कब्जा जमाए हुए हैं।
लोकसभा का सेमीफाइनल मानकर इस चुनाव को लड़ रहे दल किसी भी हालत में यह सीट जीतना चाहते हैंं। यहां माहौल इसलिए और भी गर्म हो गया है कि यहां के निवर्तमान चेयरमैन डा. शमीम ने एक बयान में कहा कि, जब लड़के बड़े हो जाएंगे तो वे सबको एक एक लड़की देंगे। इस बयान से जहां वे विवादों में घिर गए हैं और विपक्ष को घेरेबंदी का मौका मिल रहा है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात इस नगरपालिका में अमिलों गांव का जुड़ना है। नगरपालिका में पहले करीब 40 हजार मत थे। इस गांव के जुड़ने के बाद मतदाताओं की संख्या बढ़कर साठ लाख के करीब पहुंच गई है। कारण कि यह ग्रमापंचायत जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है और यहां मुस्मिल के साथ अति पिछड़ों की आबादी काफी अधिक है।
हाल के चुनाव में अति पिछड़े बीजेपी के प्रति लामबंद होकर मतदान किये हैं। इससे बीजेपी उत्साहित है। वहीं सपा बसपा को भरोसा है कि मुस्लिम उनके साथ जाएंगे। लेकिन सपा के दो नेता मैदान में है जिसके कारण पार्टी की परेशानी बढ़ी हुई है। बसपा को भी भीतरघात का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में भाजपा का मानना है कि यदि सीएम योगी की सभा चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में होती है तो उनके लिए सुनहरा मौका बन सकता है। कारण कि योगी की छवि आजमगढ़ में कट्टर हिंदू नेता की है और उनकी सभा के बाद आजमगढ़ के साथ ही मुबारकपुर के भी मतदाता लामबंद हो सकते हैं। इसलिए वे 16 के बजाय 19 को सभा चाहते हैं। वहीं राजनीति के जानकारों की माने तो सीएम की सभा से माहौल में बहुत अधिक बदलाव नहीं होने वाला है। कारण कि पहले भी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में योगी की सभा होती रही है लेकिन पार्टी के प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं हुआ।