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आजमगढ़

लॉकडाउन का असर : खेतों में ही झड़ रही किसानों की फसल

– लॉकडाउन के चलते नहीं मिल रहे मजदूर, चालकों के बिना खड़ी कंबाइन मशीनें- ओलावृष्टि और तूफान में पहले ही बर्बाद हो चुकी है 30 से 35 प्रतिशित फसल, शेष पर भी संकट के बादल
 

आजमगढ़Mar 30, 2020 / 03:24 pm

Hariom Dwivedi

लॉकडाउन का असर : खेतों में ही झड़ रही किसानों की फसल

हल्की सी बारिश न केवल फसल को बर्बाद कर सकती है, बल्कि किसानों के ख्वाब भी चकनाचूर कर सकती है

आजमगढ़. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते लॉकडाउन का असर पर अब साफ दिखने लगा है। एक तरफ जहां बंदी के चलते जहां लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है, वहीं किसानों की गाढ़ी कमाई खेतों में बबार्द हो रही है। पहले बरसात, ओलावृष्टि और चक्रवाती तूफान ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, अब बची हुई फसल को काटने के लिए मजदूर और कंबाइन नहीं मिल रही है। कारण कि लाकडाउन के चलते कंबाइन चालक पंजाब से यूपी नहीं आ पा रहे हैं। इसके चलते तमाम मशीनें खड़ी हैं। उधर, मौसम का मिजाज हर दिन बदल रहा है, जिसके चलते भी किसानों की सांसे अटकी हुई हैं। हल्की सी बारिश न केवल फसल को बर्बाद कर सकती है, बल्कि किसानों के ख्वाब भी चकनाचूर कर सकती है।
आजमगढ़ जिले की आबादी 50 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। यहां कुल आबादी का 83 प्रतिशत लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। केवल 17 प्रतिशत आबादी ही नौकरी अथवा स्वरोजगार से जुड़ी है। यहीं नहीं 83 प्रतिशत किसानों में भी 83.7 प्रतिशत ऐसे किसान है जिनकी जोत एक हेक्टेयर से कम है। ये लोग पूरी तरह खेती पर ही निर्भर है। खेती से होने वाले उत्पादन से ही ये अपने पूरे साल की जरूरत पूरी करते हैं। इस बार रबी की फसल काफी अच्छी थी जिससे किसानों को काफी उम्मीद थी, लेकिन फरवरी माह में हुई बारिश व चक्रवाती तूफान तथा ओलावृष्टि ने 30 से 35 प्रतिशत फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था।
खेतों में ही झड़ रही फसल
मौसम की मार से बची हुई फसल पककर तैयार है। खासतौर पर सरसों, मटर, जौ और गेंहू। एक हफ्ते में चना की फसल भी तैयार हो जाएगी। लेकिन लॉकडाउन के चलते फसलों को काटने के लिए मजदूर ही नहीं मिल रहे हैं। यही नहीं इस बार कंबाइन भी धोखा दे रही है। कारण कि यहां के चालक कंबाइन नहीं चला पाते हैं, उसके लिए सीजन में पंजाब से चालक बुलाया जाता है। अब तक 10 प्रतिशत कंबाइन के चालक ही यूपी पहुंच पाए हैं। बार्डर सील होने के कारण इन्हें यूपी आने में परेशानी हो रही है। परिणाम है कि जो कंबाइन चल रही है उनपर भारी वर्कलोड है। सरसों और जौ की फसल खेतों में ही झड़ने लगी है। अगर सरकार इस दिशा में तत्काल कोई निर्णय नहीं लेती है तो लोगों की परेशानी और बढ़ जाएगी।
किसानों का दर्द
असिलाई के किसान रामजीत सिंह, प्रमोद, अतरौलिया के संदीप सिंह, निकासीपुर के अमरदीप सिंह, सिकरौर के राम चंदर राम, सतीष सिंह, नायब यादव, यूसुफपुर के सेखरज यादव आदि का कहना है कि पहले ही 30 से 35 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है और अब मशीन न मिलने के कारण लगातार नुकसान हो रहा है। कंबाइन मालिक चालक के आने का इंतजार कर रहे हैं। गांवों में मजदूर ढ़ूंढने से भी नहीं मिल रहे। ऐसे में स्थिति बदतर होती जा रही है। अगर फसल समय ने नहीं कटी तो हम किसान बार्बाद हो जाएंगे।

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