मौसम की मार से बची हुई फसल पककर तैयार है। खासतौर पर सरसों, मटर, जौ और गेंहू। एक हफ्ते में चना की फसल भी तैयार हो जाएगी। लेकिन लॉकडाउन के चलते फसलों को काटने के लिए मजदूर ही नहीं मिल रहे हैं। यही नहीं इस बार कंबाइन भी धोखा दे रही है। कारण कि यहां के चालक कंबाइन नहीं चला पाते हैं, उसके लिए सीजन में पंजाब से चालक बुलाया जाता है। अब तक 10 प्रतिशत कंबाइन के चालक ही यूपी पहुंच पाए हैं। बार्डर सील होने के कारण इन्हें यूपी आने में परेशानी हो रही है। परिणाम है कि जो कंबाइन चल रही है उनपर भारी वर्कलोड है। सरसों और जौ की फसल खेतों में ही झड़ने लगी है। अगर सरकार इस दिशा में तत्काल कोई निर्णय नहीं लेती है तो लोगों की परेशानी और बढ़ जाएगी।
असिलाई के किसान रामजीत सिंह, प्रमोद, अतरौलिया के संदीप सिंह, निकासीपुर के अमरदीप सिंह, सिकरौर के राम चंदर राम, सतीष सिंह, नायब यादव, यूसुफपुर के सेखरज यादव आदि का कहना है कि पहले ही 30 से 35 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है और अब मशीन न मिलने के कारण लगातार नुकसान हो रहा है। कंबाइन मालिक चालक के आने का इंतजार कर रहे हैं। गांवों में मजदूर ढ़ूंढने से भी नहीं मिल रहे। ऐसे में स्थिति बदतर होती जा रही है। अगर फसल समय ने नहीं कटी तो हम किसान बार्बाद हो जाएंगे।