विकास प्राधिकरण में परानापुर, रामपुर, हरबंशपुर, एलवल, कोल पांडेय, अइनियां, देवपार, हीरापट्टी, नरौली, सर्फुद्दीनपुर, सिधारी, मड़या जयराम, कोडर अजमतपुर, सराय मंदराज, शिब्ली, विमती, कोल बाज बहादुर सहित 158 गांव आते हैं। राजस्व योजना में यह सभी गांव आच्छादित हैं। यह सारे गांव व मोहल्ले शहर के इर्द-गिर्द हैं। महायोजना (1985-2011) में अंकित भूमि उपयोग अनुसार भूमि का राजस्व अभिलेखों के अनुसार ग्रीन बेल्ट अथवा पार्क क्षेत्र की भूमि को सजरा, खाता संख्या, खसरा संख्या, अराजी संख्या अंकित करने के लिए बीते दिनों कमेटी का गठन किया गया। इसमें तहसीलदार सदर को अध्यक्ष, एडीए के बृजभूषण विश्वकर्मा, संभागीय नियोजन खंड मानचित्रकार महेंद्र प्रताप यादव, संबंधित क्षेत्रीय लेखपाल को सदस्य नामित किया गया है। विकास प्राधिकरण को यह रिपोर्ट 11 फरवरी तक ही उपलब्ध करानी थी, लेकिन अभी तक यह निर्धारण नहीं हो पाया। इसकी वजह से इन क्षेत्रों की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। रजिस्ट्री पर रोक लगी है। इसकी वजह से राजस्व का घाटा हो रहा है।
ग्रीन लैंड व पार्क की जमीन पर रजिस्ट्री रोक दिए जाने से जनता परेशान हो रही है। अगर उसको जमीन की रजिस्ट्री करानी है तो पहले वह एडीए का चक्कर लगाती है। किसी तरह दो-चार दिन में रिपोर्ट लगती है। इसके बाद निबंधन कार्यालय पर भी उसकी पड़ताल होती है। जब जाकर रजिस्ट्री हो पा रही है। दोनों तरफ से जनता परेशान है। उपनिबंधन सदर सौरभ कुमार राय ने बताया कि एडीए की तरफ से संबंधित क्षेत्रों में रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गई है। शासन की तरफ से भारी भरकम रजिस्ट्री का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रजिस्ट्री न होने से राजस्व नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से लक्ष्य पूरा होने में दिक्कत हो रही है।
एडीए सचिव बाबू सिंह का कहना है कि रजिस्ट्री करने वाले व्यक्ति को विभाग में प्रार्थना पत्र देना पड़ता है। इसके बाद विभाग के लोग जाकर जमीन चिह्नित करते हैं और रिपोर्ट देते हैं। इसके बाद रजिस्ट्री हो रही है। वैसे आचार संहिता अभी लगी है। चुनाव बाद सारी प्रक्रियाओं को सही कर लिया जाएगा।