ऐसे ही एक नेता हैं केदार यादव जो सदर विधानसभा के चक भाई खां गांव के रहने वाले है। वर्ष 1992 में जब सपा का गठन हुआ तो केदार यादव सपा मुखिया मुलायम सिंह के साथ खड़े हो गए। समाजवाद को आगे बढ़ाने के लिए केदार ने सबसे पहले अपने वस्त्र त्याग दिये और साप के झंडे को ही अपना वस्त्र बना लिया।
लाल कुर्ता, हरा पजामा, लाल टोपी, सपा के झंडे के रंग में रंगी पांच फिट की लाठी और उसमें लगा डेढ़ मीटर का झंडा ही केदार यादव की पहचान है। वे सुबह सात बजे घर से निकलते हैं और दिन ढलने तक सपा का प्रचार करते रहते है। आजमगढ़ ही नहीं पूरे पूर्वांचल में लोग केदार यादव को जानते हैं। केदार यादव ने कभी सांसद, विधायक बनने अथवा पार्टी संगठन में कोई पद हासिल करने की अपेक्षा नहीं की। बस एकला चलों की राह पर चलते जा रहे हैं। उनका मात्र एक उद्देश्य है समाजवादी पार्टी को शिखर पर पहुंचाना। इसके लिए केदार यादव निरंतर प्रयास करते रहते हैं लेकिन आज वह भी कहीं न कहीं पार्टी की हालत देख आहत है।
28 साल से सपा का झंडा ढो रहे केदार पहली बार अपनी ईच्छा जाहिर की है। केदार कहते हैं कि जब से सपा का गठन हुआ तब से यादव ही आजमगढ़ का जिलाध्यक्ष बना। समाजवादी पार्टी एक धर्म निरिपेक्ष पार्टी है। हम सभी जाति और धर्म के लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास करते है। पार्टी पर जातिवाद का आरोप लगता है तो दुख होता है। इसलिए मैं चाहता हूं कि इस बार किसी ऐसे गैर यादव को जिलाध्यक्ष बनाया जाय जो सर्व समाज को पार्टी से जोड़कर उसे मजबूत बना सके। खासतौर पर अगर जिलाध्यक्ष चैहान अथवा राजभर समाज का हो तो सबसे बढ़िया होगा। उन्होंने पूर्व मंत्री राम दुलारे राजभर का नाम भी सुझा दिया। यहीं नहीं उन्होंने दावा किया कि अगर गैर यादव जिलाध्यक्ष बनता है तो पार्टी और मजबूत होगी और 2022 में पार्टी सभी 10 विधानसभा सीटों पर कब्जा करेगी तथा अखिलेश यादव फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।
BY Ran vijay singh